लुधियाना-जालंधर : पंजाब की अकाली सियासत में आज उस वक्त एक बड़ा सियासी धमाका हुआ, जब यूनाइटेड अकाली दल वरिष्ठ टकसाली अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा के नेतृत्व में शामिल हो गया। उधर शिरोमणि अकाली दल बादल के उप प्रधान और यू.एस.ए के वरिष्ठ अकाली आगु मनजीत सिंह दसूहा भी राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा की अध्यक्षता वाले शिरोमणि अकाली दल (डेमोके्रटिक) में शामिल हो गए। इस मोके पर मनजीत सिंह दसूहा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल बादल कॉरपोरेट घरानों की पार्टी बन चुकी है और पार्टी में कुबार्नियां देने वाले टकसाली अकाली परिवारों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि बेअदबी की घटनाओं का अभी तक इंसाफ ना मिलने के कारण उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचने के कारण वह और उनके समर्थक शिरोमणि अकाली दल को अलविदा कहकर सुखदेव सिंह ढींडसा की अगुवाई में शामिल हुए है।
गुरुद्वारा नौवीं पातशाही गुरु तेग बहादुर नगर में आयोजित कार्यक्रम में यूनाइटेड अकाली दल के प्रधान भाई मोकम सिंह ने शनिवार को सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टी में अपने पार्टी के विलय की घोषणा की। इस अवसर पर भाई मोकम सिंह ने कहा कि उनके लिए पहले पंथ और पंजाब है उसके बाद पार्टी और राजनीति है। उन्होंने कहा कि बादल परिवार ने पंजाब का नुकसान किया है और अब सिख पंथ को बचाने की लड़ाई लडऩी है। सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि बादल परिवार का साथ छोडऩे में देर जरूर हुई है, लेकिन वह बिना दाग के बाहर आए हैं और अब पंजाब के हितों की लड़ाई जोरदार ढंग से लड़ी जाएगी।
उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले लगातार बड़े हैं और इसमें बादल परिवार की डेरा सिरसा के साथ मिलीभगत भी सामने आई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए संगत माफ नहीं करेगी और बादल परिवार का जो हाल हो रहा है वह किसी से छुपा नहीं है। सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि वह केंद्र सरकार के किसान विरोधी ऑर्डिनेंस का विरोध करते हैं। केंद्र सरकार को यह ऑर्डिनेंस वापस लेना चाहिए इसके लिए प्रधानमंत्री के नाम पत्र भी लिखा है।
सुखदेव सिंह ढींडसा ने कहा कि उनका लक्ष्य पंजाब का हित है और न तो वह किसी पद की इच्छा रखते हैं न ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि अगर उनके नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल की सरकार बनती है तो वह मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे और ना ही वह कोई लाभ पद ग्रहण करेंगे।
ढींडसा ने कहा कि उनकी पार्टी का राजनीतिक और धार्मिक विंग अलग-अलग होगा, जो धार्मिक क्षेत्र में जाना चाहते हैं और एसजीपीसी के माध्यम से सेवा करना चाहते हैं उन्हें यह शपथ पत्र लेनी होगी कि वह राजनीति नहीं करेंगे और न ही पार्टी में कोई पद लेंगे।
– सुनीलराय कामरेड