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पंजाब का एक और जवान देश की रक्षा करते लेह में डयूटी के दौरान हुआ शहीद

पंजाब का एक और जवान देश की रक्षा की खातिर डयूटी के दौरान शहीद हो गया। भारतीय सेना की रैजीमेंट, 59 इंजीनियरस के 23 वर्षीय लांसनायक सलीम खान की मृतक देह लेह से विशेष हवाई जहाज द्वारा आज बाद दोपहर 3 बजे के करीब पटियाला-बलबेड़ा रोड़ पर स्थित मरदांहेड़ी गांव पहुंची,

लुधियाना-पटियाला :  पंजाब का एक और जवान देश की रक्षा की खातिर डयूटी के दौरान शहीद हो गया। भारतीय सेना की रैजीमेंट, 59 इंजीनियरस के 23 वर्षीय लांसनायक सलीम खान की मृतक देह लेह से विशेष हवाई जहाज द्वारा आज बाद दोपहर 3 बजे के करीब पटियाला-बलबेड़ा रोड़ पर स्थित मरदांहेड़ी गांव पहुंची, तो माहौल गमगीन हो गया। शहादत का समाचार फैलते ही दर्जनों गांवों में सन्नाटा फैल गया। शाही शहर के नाम से विख्यात पटियाला के एक और जवान मनदीप सिंह ने भी कुछ दिन पहले ही चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए पंजाब के 3 अन्य साथियों के साथ शहादत का जाम पिया था। इसी संघर्ष में देश के कर्नल सहित 20 के करीब जवान शहीद हुए थे। 
बीते कल लेह में सेना के लिए पुल निर्माण के कार्य में जुटे इस जवान की किश्ती नदी में पलट गई, जिस दौरान उसकी मौत हो गई। इसी संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने अपनी फेसबुक के जरिए पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि लददाख में शहीद हुए लांसनायक सलीम खान की शहादत को उनका सलाम करता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह दुख की घड़ी में उनके परिवार के साथ है। पूरा देश बहादुर लांसनायक सलीम खान की शहादत को सलाम करता है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शहीद सलीम श्योक नदी के पास लद्दाख क्षेत्र में सेना के परिचालन क्षेत्र में अपनी इंजीनियरिंग ड्यूटी पर तैनात था। शिओख नदी में नाव से भारतीय सेना के अभियानों से संबंधित बचाव कार्यों के लिए रस्सियों को स्थापित करने के लिए 26 जून को दोपहर करीब 1.30 बजे रेजीमेंट ड्यूटी पर थी। इस बीच, अचानक दुर्घटना के कारण, सलीम खान की नाव पलट गई और सलीम खान गहरे ठंडे पानी में लगभग 3.20 बजे डूब गए। 
शहीद के बिलखते हुए भाई के मुताबिक, ‘सेना के सूबेदार ने सुबह 6 बजे उन्हें छोटे भाई के इंतकाल की सूचना दी। उसने अपने स्वर्गवासी पिता मंगलदीप की शहादत को भी याद करते कहा कि छोटी ही आयु में उनके पिता ने देश की खातिर शहादत का जाम पिया था और अब उनके भाई सलीम ने भी देश सेवा के लिए जिंदगी कुर्बान कर दी। ’ भाई की शहादत पर गर्व करते उसने कहा कि सलीम 3 माह पहले ही गांव आया था और गांव के नौजवानों को अकसर देश सेवा के लिए प्रेरित करता था। इसी दौरान शहीद की मां नसीमा बेगम का रूदन दर्दनाक था, जो बार-बार बिलखने के साथ ही अपने जिगर के टुकड़े को याद करके निरंतर रोती ही जा रही थी। साथ उपस्थित महिलाओं के संभालने के बावजूद वह संभल नहीं पाती और फिर जमीन पर ही चिल्लाते हुए गिर जाती।  
दर्दननाक और संवेदनाओं से भरा दृश्य बहुत ही भावपूर्ण था, जिसे देखकर उपस्थित हर शख्स की आंखें नम थी।  लांसनायक सलीम खान का पार्थिव शरीर बाद दोपहर उनके पैतृक गांव के ही कब्रिस्तान में लाया गया, जहां सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्दे-खाक करते हुए अंतिम विदाई दी गई।
सुनीलराय कामरेड

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