लुधियाना-कोटकपूरा : सरबत खालसा के कार्यकारिणी जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब, भाई ध्यान सिंह मंड और तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार भाई बलजीत सिंह दादूवाल से मिलने आज बड़ी संख्या में सिख संगत पंथक आगु और संत महापुरूषों के काफिले अपने-अपने समर्थकों के साथ पहुंचे।
इस दौरान तिहाड़ जेल में बंद भाई जगतार सिंह हवारा जत्थेदार अकाल तख्त साहिब की तरफ से भाई बगीचा सिंह रत्तेखेड़ा, बापू गुरचरण सिंह, पटियाला और वकील अमर सिंह चाहल ने जत्थेदार हवारा साहिब की तरफ से सिख संगत के नाम बरगाड़ी मोर्चे के समर्थन में लिखित संदेश पढ़ा।
स्मरण रहे कि उपरोक्त जत्थेदार पंथक आगुओं के साथ बरगाड़ी में 3 साल पहले श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूपों की चोरी और शरारती तत्वों द्वारा पवित्र ग्रंथ के पन्ने फाडक़र जमीन पर बिखेरे जाने के खिलाफ दोषियों की गिरफतारी की मांग को लेकर मोर्चे पर डटे हुए है। बहिबल गोलीकांड के दोषियों को सजा दिलाने और जेलों में सजाएं पूरी कर चुके बंदी सिंहों की रिहाई और पंजाब की जेलों में दूसरे राज्यों के सिख कैदियों को लेकर लगाए गए मोर्चा आज 15वे दिन में दाखिल हो चुका है।
इस दौरान मोर्चे की सफलता के लिए जत्थेदार दादूवाल जी ने अरदास की सेवा निभाई। जत्थेदार दादूवाल ने आए हुए संत -महापुरूषों और पंथक आगुओं का भी धन्यवाद करते हुए कहा कि इंसाफ मोर्चा अकेले जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड या जत्थेदार हवारा का ही नहीं बल्कि समस्त पंथ का है और इसी लिए सभी संगत निडर होकर बरगाड़ी पहुंच रही है।
जत्थेदार भाई बलजीत सिंह दादूवाल ने जीएसटी के मुददे पर बादल नीति का सख्त विरोध किया। उन्होंने कहा कि बादल के समर्थक इस मुददे पर समस्त सिख कौम को गुमराह कर रही है और इसलिए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करने गए बादल समर्थकों को सिख पंथ से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में मुगलों और अंग्रेजों का शासन भी रहा है और मोदी ऐसा पहला प्रधानमंत्री है जिसने लंगर के ऊपर जजिया टैक्स लगाया है। हालांकि मोदी से पहले 11 प्रधानमंत्री आएं है किंतु किसी ने भी ऐसी गुस्ताखी नहीं की। भाई दादूवाल ने लंगर के ऊपर जीएसटी लगाए जाने को पूर्ण रूप से गलत और अब सेवा भोग योजना के तहत खेरात देना भी गलत है और पंथ के लिए ना काबिले बरदाश्त है।
दादूवाल ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल, हरसिमरत कौर बादल और गोबिंद सिंह लोंगोवाल समेत मंजीत सिंह जीके मोदी द्वारा दी गई खेरात परवान करने के लिए इतिहासिक गलती कर रहे है। दादूवाल ने बादशाह अकबर का जिक्र करते हुए कहा कि गुरू का लंगर छकने उपरांत आनंदित होकर गुरू के लंगर को सरकारी खेरात देनी चाही थी जिसको गुरू अमरदास साहिब ने परवान नहीं की और अब बादल, मोदी की खेरात परवान करके काला इतिहास लिखने जा रहे है। सरबत खालसा के जत्थेदारों ने मोदी से लंगर हटाने की मंाग भी की।
– सुनीलराय कामरेड
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