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बलबीर ने अपने बल पर जीती कोरोना से जंग, खुद पर तनाव नहीं होने दिया हावी

पंजाब के अलग-अलग इलाकों से विश्व व्यापी कोरोना से जंग लडक़र जीतने वाले यौद्धाओं का आंकड़ा तेजी से बढ़ता ही जा रहा है

लुधियाना-बंगा-अमृतसर : पंजाब के अलग-अलग इलाकों से विश्व व्यापी कोरोना से जंग लडक़र जीतने वाले यौद्धाओं का आंकड़ा तेजी से बढ़ता ही जा रहा है और इन्ही यौद्धाओं में से एक 75 वर्षीय माता प्रीतम कोर ने कोरोना को मात दी तो अमृतसर के इलाका कृष्णनगर से 65 वर्षीय बलबीर सिंह ने अपने बल पर कोरोना को परास्त कर जिंदगी की जंग जीत ली है।
बुजुर्ग माता प्रीतम कोर जिसका कोरोना नतीजा पहले पॉजीटिव आया था लेकिन आज उसका सैंपल नेगेटिव आने पर वह अपने गांव पहुंची, जहां गांववासियों ने उसे सिरौपा देकर स्वागत किया। गांव के सरपंच हरपाल सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने उसकी मां और स्वयं उसका बहुत ही बढिय़ा तरीके से इलाज किया और ख्याल रखा, जिस कारण उन्हें वाहेगुरू की कृपा से नई जिदंगी मिली है। 
इधर होशियारपुर के गांव, गांव पैंसरा के रहने वाले 58 वर्षीय हरजिंदर सिंह ने भी  कोविड-19 को शिकस्त देकर जिंदगी की जंग जीत ली। अपनी जीत पर वह कहते हैं कि परमात्मा के नाम सुमिरन और वाहेगुरु के जाप में असीम शक्ति है। जीवन और मरण उसके हाथ है। मुझे परमात्मा के नाम सुमिरन ने सकारात्मक शक्ति दी, जिससे मैं कोरोना से मुक्ति पा पाया। जबकि बरनाला से संबंधित 44 वर्षीय महिला ने कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जीती है। राजिंद्रा अस्पताल पटियाला से छुटटी मिलने के बाद बरनाला सिविल अस्पताल में डिप्टी कमीश्रर तेज प्रताप सिंह फुलका और स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुलदस्ते देकर उसकी हौसला अफजाई की। राधा रानी ने कहा कि सबसे जरूरी मजबूत इच्छा शक्ति है, जिससे वह जंग जीत सकी। उसने कोरोना वायरस से बचने के लिए जरूरी नियमों का हवाला देते कहा कि लोगों को अपने घरों में ही रहना चाहिए।
उधर गुरू की नगरी के नाम से विख्यात अमृतसर के इलाका कृष्ण नगर का रहने वाला बलबीर सिंह जो कुछ समय पहले गुरु नानक देव अस्पताल स्थित आइसोलेशन वॉर्ड में उपचाराधीन था, ने बताया कि उसने कभी खुद पर तनाव हावी नहीं होने दिया। हालांकि अस्पताल में कोरोना वायरस संक्रमित दो मरीजों की मौत हो चुकी है, पर उसने धैर्य नहीं खोया। हरदम परमात्मा को याद करता रहा। उसने यह भी कहा कि साहसपूर्वक कोरोना के खिलाफ जंग जारी रखी और अंतत जीत हासिल की।
आइसोलेशन वॉर्ड में 16 दिन अकेले रहकर कोरोना को पस्त करना आसान नहीं है। कृष्णानगर में कढ़ाई का काम करने वाले बलबीर सिंह 65 वर्ष की आयु में भी जज्बे से काम कर रहे थे। अपने काम को अधिक समय देते थे। शायद यही वजह रही कि उन पर कोरोना हावी नहीं हो पाया।
बलबीर सिंह के बेटे ने बताया कि 3 अप्रैल को जब उन्हें मालूम हुआ कि पापा कोरोना पॉजिटिव हैं, तो पैरों तले जमीन खिसक गई। इसके बाद मां भी पॉजिटिव आईं। दोनों को आइसोलेशन वॉर्ड में रखा गया। पिताजी जो भी खाना चाहते, उसे हम उपलब्ध करवा देते। वह फोन पर भी हमसे बातचीत करते थे। कहते थे मैं जल्दी ठीक होकर घर आ जाऊंगा। यही मानसिक बल उनके लिए वरदान साबित हुआ। मां भी आइसोलेशन वॉर्ड में उपचाराधीन हैं। अब उनका सैंपल निगेटिव आया है । वैसे डॉक्टरों के अनुसार वह बहुत जल्दी कोरोना को मात दे देंगी।
बलबीर सिंह अमृतसर के पहले ऐसे कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं जो ठीक हो चुके हैं। इससे पूर्व होशियारपुर के हरजिंदर सिंह व गुरदेव सिंह कोरोना को हराकर घर जा चुके हैं।
– सुनीलराय कामरेड

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