कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर बैठे किसान संगठनों ने 6 फरवरी को चक्का जाम करने की बात कही है। इस बीच इस मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। सर्वदलीय बैठक का राज्य बीजेपी ने बहिष्कार करते हुए शामिल होने से इंकार कर दिया।
बैठक की शुरुआत किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इस दौरान सभी लोगों ने 2 मिनट का मौन रखा। कैप्टन अमरिंदर ने कहा, हमारे किसानों को इस तरह से जान गंवाते देखना दर्दनाक है। हमने इन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ संघर्ष के दौरान 88 किसानों को खो दिया है। वे अपने अधिकारों के लिए लड़ते हुए मर गए।
मुख्यमंत्री ने पंजाब के हित में और किसानों के समर्थन में एकजुटता दिखाने के लिए सभी पार्टियों से इस बैठक में शामिल होने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की जनता और प्रदेश की सभी पार्टियों के समेकित प्रयासों से ही इस संकट से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है और किसानों के हितों की रक्षा की जा सकती है।
किसान यूनियनों ने छह फरवरी को ‘चक्का जाम’ किए जाने की घोषणा सोमवार को की। वे अपने आंदोलन स्थलों के निकट क्षेत्रों में इंटरनेट प्रतिबंध, अधिकारियों द्वारा कथित उत्पीड़न और अन्य मुद्दों के खिलाफ तीन घंटे तक राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध कर अपना विरोध दर्ज कराएंगे।
गौरतलब हैं कि किसानों के आंदोलन को 69वां दिन है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के पास अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती और कई जगह बैरिकेड लगाने के साथ सुरक्षा बढ़ा दी गयी है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी की कई मुख्य सड़कों पर यातायात जाम हो गया।
प्रदर्शनकारियों के आवागमन रोकने के लिए पुलिस की निगरानी में मजदूरों ने सिंघू बॉर्डर पर मुख्य राजमार्ग के किनारे सीमेंट के अवरोधकों की दो कतारों के बीच लोहे की छड़ें लगा दी हैं। दिल्ली-हरियाणा राजमार्ग के एक अन्य हिस्से पर सीमेंट की अस्थायी दीवार बनाने से वह हिस्सा भी आंशिक रूप से बाधित हो गया है।