केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने वर्ष 2015 की धार्मिक चिह्नो की बेअदबी से जुड़े मामलों की फाइल और दस्तावेज पंजाब पुलिस को सौंप दिए है।
यह जानकारी राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर दी।
उल्लेखनीय है कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पिछले महीने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह वर्ष 2015 में गुरु ग्रंथ सहित धार्मिक चिह्नों की कथित बेअदबी के मामलों से जुड़े दस्तावेज एवं केस डायरी एक महीने के भीतर पंजाब पुलिस को सौंपे।
बयान के मुताबिक, ‘‘ मामले की फाइल एवं दस्तावेज पंजाब ए़वं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई के लिए तय समयसीमा से घंटों पहले पंजाब पुलिस को सौंपे गए।’’
बयान में कहा गया, ‘‘ जांच ब्यूरों के निदेशक ने 18 जनवरी 2021 को सीबीआई निदेशक को समस्त रिकॉर्ड राज्य पुलिस को बिना देरी सौंपने को कहा था। यह कदम सीबीआई से बेअदबी का मामला वापस लेने पर उठाया गया जिसके परिणाम में दो नवंबर 2015 को सीबीआई को सौंपे गए मामले में एकत्र सबूत सहित तमाम दस्तावेज वापस मांगे गए।’’
बयान में कहा गया,‘‘सीबीआई ने बुधवार को अंतत: राज्य पुलिस को बेअदबी मामले से जुड़े सभी दस्तावेज सौंप दिए है’’।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘यह शिरोमणि अकाली दल (पूर्व में राजग की सहयोगी) की मामले का खुलासा करने की प्रक्रिया को बाधित करने के प्रयास का पर्दाफाश करता है।’’
मुख्यमंत्री ने इसे राज्य सरकार और उसके उस रुख की जीत करार दिया जिसके तहत उसने आरोप लगाया था कि सीबीआई गत महीनों में पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की जांच को शिरोमणि अकाली दल की ओर से बाधित करने का प्रयास कर रही थी जो सितंबर 2020 तक केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा थी।
सिंह ने बयान में आरोप लगाया, ‘‘ अब स्पष्ट है कि केंद्रीय मंत्री के तौर पर हरसिमरत कौर केंद्रीय एजेंसी पर दबाव बना रही थी कि वह मामले से जुड़ी फाइल नहीं सौंप कर एसआईटी की जांच को बाधित करे क्योंकि वह जानती थी कि उनकी पार्टी की इस मामले में संलिप्तता का खुलासा हो जाएगा अगर पुलिस की जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंची।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि मामले में सभी दोषियों की पहचान की जाएगी एवं कानून के तहत सजा दी जाएगी।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी करने वालों को न्याय के कठघरे में लाने में ‘ कुछ भी नहीं कर पाने की असफलता’ को छिपाने की कोशिश बंद करनी चाहिए।
शिअद के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने यहां जारी बयान में मुख्यमंत्री के उस ट्वीट पर हमला किया जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘ अकाली दल के केंद्र की सरकार से बाहर आने के कुछ महीनों के भीतर दस्तावेजों को सौंपा जाना साबित करता है कि हरसिमरत कौर जांच बाधित कर रही थी।’’
पार्टी के प्रवक्ता पद की जिम्मेदारी भी निभा रहे चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अभिप्रेरित ट्वीट से अपनी ‘‘ राजनीतिक मजबूरी एवं घबराहट को उजागर कर दिया है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ मुख्यमंत्री ने जानबूझकर न्यायिक हस्तक्षेप को अलग मोड़ देने की कोशिश की जो पूरी तरह से अवांछित एवं संदर्भ से इतर है। यह आश्चर्यजनक है कि मुख्यमंत्री अब भाजपा के साथ दोस्ताना खेल खेल रहे हैं।’’
चीमा ने कहा, ‘‘ पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को किसी ऐसे व्यक्ति के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है जिसने पंजाब के हितों के साथ विश्वासघात किया और अब भी पंजाब के हितों एवं किसान आंदोलन के खिलाफ काम कर रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाबी समझते हैं कि आप (मुख्यमंत्री) अपनी कुर्सी बचाने के लिए भाजपा नीत सरकार अनुकूल रुख अख्तियार करने के दबाव में है। इसलिए आपने भाजपा को किसान आंदोलन से ध्यान भटकाने के लिए मौका दिया।’’