लुधियाना-अमृतसर : निहंग सिंहों की प्रचारक संस्था दमदमी टकसाल के मुखी संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा ने जोधपुर नजरबंदियों को मुआवजा देने संबंधी जीते गए केस को केंद्र सरकार की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती देने का सख्त नोटिस लेते हुए अपील को वापस लेने की मांग की है।
जबकि एसजीपीसी अध्यक्ष भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने भी जून 1984 के सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब पर हुए हमले के पश्चात जोधपुर जेल में नजरबंद रहे सिख कैदियों को मुआवजा देने संबंधित अमृतसर की अदालत के फैसले को केंद्र सरकार द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती देने का कड़ा नोटिस लेते कहा कि जोधपुर नजरबंदियों को मुआवजा देने संबंधित अमृतसर की अदालत का फैसला पीडि़तों के जख्मों पर मरहम की तरह है। इस फैसले को केंद्र सरकार द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती देना सिखों के दिलों के अंदर भारत सरकार प्रति बेगानगी का एहसास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सिख कौम के साथ हुई बेइंसाफियों का इंसाफ करके बिना देरी सिख कौम का विश्वास जीते।
उन्होंने कहा कि केस को चुनौती देकर गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सिख कौम को इंसाफ देने व जख्मों पर मरहम लगाने की जगह बेगानगी का अहसास करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उक्त चुनौती केंद्रीय सरकार का सिख कौम से एक और भेदभाव का सबूत है। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से दी गई चुनौती का सामना करने के लिए वकीलों का पैनल बनाने का ऐलान किया। उन्होंने एसजीपीसी को भी उक्त केस की ठोस पैरवी करने की अपील की।
– सुनीलराय कामरेड
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