मोदी सरकार के कृषि से जुड़े तीन कानूनों का पंजाब में सबसे ज्यादा विरोध हो रहा। राज्य के किसानों का कहना है कि इन कानूनों के चलते कृषि क्षेत्र कॉरपोरेट के नियंत्रण में चला जाएगा, जबकि केंद्र का कहना है कि इन कानूनों से किसानों को बिचौलियों के चंगुल से मुक्ति मिलेगी और खेती में नई तकनीक की शुरुआत होगी।
किसानों में मौजूद शंकाओं को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने पंजाब के किसान संगठनों को 14 अक्टूबर बातचीत के लिए एक बार फिर आमंत्रित किया है। किसान संगठनों ने रविवार को इस संबंध में जानकारी दी। संगठनों ने कहा कि निमंत्रण स्वीकार करने पर निर्णय 13 अक्टूबर को जालंधर में एक बैठक में लिया जाएगा।
किसान संगठनों ने पिछले सप्ताह केंद्रीय कृषि विभाग द्वारा 8 अक्टूबर को उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए आयाजित सम्मेलन में भाग लेने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था। इन संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपने प्रदर्शन के तहत पंजाब में रेल यातायात को बाधित किया है जिससे ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।
भारतीय किसान यूनियन (दकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘‘हमें 14 अक्टूबर को एक बैठक का निमंत्रण मिला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कृषि सचिव की ओर से निमंत्रण आया है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार किसानों से बात करना चाहती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जालंधर में 13 अक्टूबर को होने वाली बैठक में सभी किसान संगठन तय करेंगे कि वार्ता के लिए दिल्ली जाना है या नहीं।’’ पंजाब में किसानों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को निरस्त किया जाए।