पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने क्रूर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को मंगलवार को अपनी सरकार का पूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि अगर राज्य के कानून में संशोधन की आवश्यकता हुई तो वह विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करेंगे।
सिंह ने कहा कि इस ‘‘मुश्किल समय’’ में पंजाब सरकार हर कदम पर किसानों के साथ है। किसानों के 31 संघों के प्रनिधियों के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि कृषि कानूनों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने सहित आगे का रास्ता तय करने के लिए वह आज दिन में अपनी कानूनी टीम से मिलेंगे।
आधिकारिक बयान के अनुसार, किसानों के प्रतिनिधियों के अलावा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं पंजाब प्रभारी हरीश रावत भी बैठक में मौजूद थे। इसके साथ ही राज्य के मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा और भरत भूषण आशू, विधायक राणा गुरजीत सिंह, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ और राज्य के महाधिवक्ता अतुल नंदा भी बैठक में मौजूद थे।
किसान प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने सरकार के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक और बैठक की। बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री सिंह ने केन्द्र के कृषि कानूनों से किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए आगे की रणनीति पर विधि विशेषज्ञों से सलाह ली।
उन्होंने नंदा से सभी सलाह सुनने और उन पर विचार करने को कहा। दूसरी बैठक में विभिन्न किसान संघों के नेताओं द्वारा दी गई सलाहों पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने किसानों के प्रतिनिधियों से कहा, ‘‘हम राज्य के संघीय और संवैधानिक अधिकारों पर केंद्र सरकार के हमले को विफल करने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे और किसानों के हितों के लिए लड़ेंगे।’’ उन्होंने कहा कि अगर कानूनी विशेषज्ञ केन्द्रीय कानूनों के खिलाफ लड़ने के लिए राज्य के कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव करते हैं तो इसके लिए तुरंत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा।
सिंह ने स्पष्ट किया कि मौजूदा हालात में अगर विधानसभा का सत्र बुलाना उचित समाधान है तो उनकी सरकार ऐसा करने से नहीं हिचकेगी। नये कृषि कानूनों को ‘‘किसान विरोधी’’ बताते हुए पंजाब के किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। नये कानूनों के तहत फसलों बिक्री का नियमन समाप्त कर दिया गया है। मतलब अब कोई भी किसान से किसी भी मूल्य पर फसल खरीद सकता है।
प्रदर्शन कर रहे किसानों की मुख्य मांग फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी प्रावधान करने की है। केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि पहले की तरह ही न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा। भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के नेता बी.एस. राजेवाल ने कहा कि किसान एक अक्टूबर से अपना आंदोलन तेज करेंगे और रेल रोको आंदोलन जो पहले दो अक्टूबर को समाप्त होने वाला था वो अब अनिश्चित काल तक जारी रहेगा। राजेवाल ने कहा कि इस कानून का समर्थन करने वाले नेताओं का सभी किसान बहिष्कार करेंगे।