कांग्रेस की पंजाब इकाई को बृहस्पतिवार को दोहरी मार पड़ी, क्योंकि वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू को जहां 1988 के ‘रोड रेज’ मामले में एक साल की सजा मिली, वहीं पार्टी के एक अन्य दिग्गज नेता सुनील जाखड़ ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
कांग्रेस के लिए बड़ा झटका
फरवरी में हुए पंजाब विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने वाली कांग्रेस के लिए यह घटनाक्रम एक और झटका है। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी 117 सदस्यीय सदन में 79 से घटकर सिर्फ 18 सीट पर सिमट गई थी।
चुनावों से कुछ हफ्ते पहले, पार्टी के एक दिग्गज नेता – अपदस्थ मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह – ने अपनी पार्टी बनाई और भाजपा के साथ गठबंधन किया। विधानसभा चुनाव में हार के बाद, पार्टी ने नये प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में पंजाब में खुद को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू कर दिया था।
सिद्धू को 1988 के ‘रोड रेज’ के मामले में एक साल की सुनाई सजा
शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को सिद्धू को 1988 के ‘रोड रेज’ के मामले में एक साल की सजा सुनाई।
सुनील जाखड़ ने थामा भाजपा का दामन
उधर, सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़ने के कुछ दिनों बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में दिल्ली में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का दामन थाम लिया। सुनील जाखड़ के पिता बलराम जाखड़ कांग्रेस की सरकार में केंद्रीय मंत्री और लंबे समय तक लोकसभा अध्यक्ष भी थे।
सिद्धू की तरह सुनील जाखड़ भी कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष रह चुके थे।
सिद्धू ने 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले थाम लिया था कांग्रेस का दामन
भाजपा के पूर्व सांसद सिद्धू ने 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया था। पिछले साल मुख्यमंत्री पद से अमरिंदर सिंह को हटाये जाने में सिद्धू की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
सिद्धू को पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था। उनकी और जाखड़, दोनों की नजर मुख्यमंत्री पद पर थी, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने इस पद के लिए चरणजीत सिंह चन्नी को ज्यादा मुफीद समझा था।
तीन बार के विधायक रहे और गुरदासपुर से लोकसभा के पूर्व सदस्य जाखड़ पिछले दिनों कांग्रेस छोड़ते वक्त इस पुरानी पार्टी से अपने परिवार के पांच दशक के जुड़ाव को याद करते हुए भावुक हो गए थे।