लुधियाना-अमृतसर : सिखों के प्रथम पातशाह श्री गुरूनानक देव जी के 548वें प्रकाश उत्सव पर देशभर की तरह पंजाब में भी आज समस्त गुरूद्वारा साहिब में जाकर संगत ने वाहेगुरू के दरबार में हाजिरी भरते हुए सरबत के भले के वास्ते अरदास की और कथा-कीर्तन में बैठकर उपस्थिति दर्ज करवाई। वही गुरू जी की कीर्त करो, वंड छको और नाम जपो की शिक्षाओं पर अमल करने की अपील की। इससे पहले गुरूद्वारा साहिब में उपस्थित होने वाली समस्त संगत ने गुरूद्वारा साहिब में बने सरोवरों और नहरों में जाकर स्नान किया और नए कपड़े पहनकर गुरू महाराज के आगे शीश झुकाया।
आज लुधियाना और अमृतसर में भी प्रात:काल गुरूद्वारा साहिब में बड़ी संगत गुरू चरणों में नतमस्तक होकर हाजिरी लगाते नजर आई और गुरूघर की खुशियां प्राप्प की। इस अवसर पर गुरूद्वारा साहिब में अटूट लंगर भी बांटा गया। प्रथम गुरू नानकदेव जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में जहां महानगरों और शहरों के गुरूद्वारा साहिब में भव्य लाइटिग की गई, वही सीमावर्ती जिलों, कस्बों और दूर-दराज के गांवों को भी आस्था के समुद्र में बहते हुए संगत ने गुरूद्वारा साहिब को फूलों से सजाया। इस अवसर पर नन्हें-मुन्ने बच्चे, ‘ बोले सो निहाल सतश्री अकाल ’ की जयघोष करते नजर आएं। गुरू की नगरी के नाम से विख्यात श्री अमृतसर साहिब स्थित श्री अकाल तख्त साहिब से पूर्व संध्या एक नगर कीर्तन निकाला गया। कोहरे के बीच नगर कीर्तन में शामिल हजारों श्रद्धालु शहर के अलगअलग हिस्सों से होते हुए वापिस श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे। सतनाम वाहेगुरू की जयघोष से पूरा पंजाब गंूज उठा। अलगअलग शहरों में निकाले गए कीर्तन जत्थों की अगुवाई पंज प्यारे कर रहे थे और उनके आगे गतका टीमों ने भी अपने-अपने जौहर दिखाएं। इस अवसर पर जगह-जगह श्रद्धालुओं ने लंगर लगाकर नगर कीर्तन का स्वागत किया। उधर अमृतसर में नगर कीर्तन की अगुवाई एसजीपीसी अध्यक्ष प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर ने करते हुए बाबा नानक के प्रकाश उत्सव की व्याख्या करते हुए सिखों को उनके बताए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि सिख कौम दुनिया की सबसे बहादुर और मानवीय सेवा करने वाली कौम है। गुरूनानक देव जी ने दुनिया भ्रमण करके केवल यही प्रेरणा दी है। प्रो. बडूंगर के मुताबिक गुरूनानक देव जी ने दुनिया भ्रमण करते हुए परोपकार करने का संदेश दिया। गुरूनानक देव जी क्रांतिकारी और इन्कलाबी गुरू थे। उन्होंने अपने जीवन काल में जो भी कार्य किए, वह संसार की भलाई हेतु थे। इधर लुधियाना में भी गुरूनानक देव जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में अलग-अलग सिख जत्थेबंदियों, गुरूद्वारा साहिब की संगत में गुरूघर में सुशोभित प्रथम पातशाह गुरूनानक देव जी के आगे सिर झुकाया और पांच प्यारों की अगुवाई में निकल रही पालकी साहिब में सुशोभित श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी को माथा टेका। इस अवसर पर श्रद्धालु सतगुरू का गुनगान करते नजर आएं। इस अवसर पर श्री अखंड पाठ साहिब के आज भोग भी डाले गए। इस दौरान पूरा दिन रागी और डाडी जत्थों ने गुरबाणी का गुनगान किया और देर शाम आतिशबाजी भी की गई।
– सुनीलराय कामरेड