लुधियाना : बुधवार को देश की राजधानी स्थित तारकोटला मैदान में आरएसएस की शाखा राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा दशम पातशाह श्री गुरू गोबिंद सिंह जी का मनाया जा रहा 350 साला पावन प्रकाश पर्व विवादों में घिरता जा रहा है, जहां सिख जगत में कई शख्सियतों ने इस कार्यक्रम का खुलकर विरोध दर्ज कराया है, वही श्री अकाल तख्त साहिब के सिंह साहिबान ज्ञानी गुरबचन सिंह द्वारा इस समारोह में जाने से स्पष्ट इंकार किए जाने के पश्चात सरबत खालसा द्वारा चुने गए सिंह साहिबान भाई ध्यान सिंह मंड, भाई बलजीत सिंह दादूवाल और भाई अमरीक सिंह अजनाला ने भी एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि कोई भी सच्चा सिख इस समारोह में शमूलियत ना करें।
वर्ष 2004 में कुछ सिख संगठनों के विरोध के पश्चात श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों ने संघ और राष्ट्रीय सिख संगठन के खिलाफ एक हुकमनामा जारी किया था कि पंथ से जुड़े सिख ना तो ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होंगे और ना ही किसी भी प्रकार का सहयोग देंगे। जबकि सिख सेवक सोसायटी इंटरनैशनल ने आरएसएस के खिलाफ देशभर में आंदोलन करने का ऐलान करते हुए कहा कि आरएसएस के खिलाफ लड़ाई संवैधानिक आजादी की है, जो इनक ी लाठियों के अधीन कुचली जा रही है, इसलिए मनुवादी सिस्टम को रदद किया जाएं, जो यह जमात हमपर थोपने की कोशिश कर रही है। उधर जालंधर में एक पत्रकार सम्मेलन के जरिए सिख सेवक सोसायटी इंटरनैशनल ने दिल्ली में करवाएं जा रहे समागम का बायकाट करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि जो विशेष सिख शख्सियत इसमें शमूलियत करेंगा, उसका डटकर विरोध किया जाएंगा। चाहे वह किसी भी बड़े पद पर तैनात क्यों ना हो।
सरबत खालसा के कंट्रोल रूम से जारी प्रैस विज्ञप्ति के अनुसार श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार भाई बलजीत सिंह दादूवाल और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार भाई अमरीक सिंह अजनाला ने संयुक्त तौर पर जारी बयान में कहा है कि आरएसएस पिछले समय से सिखों की अलग पहचान को खत्म करके ब्राहमणवाद की छुपी धारणा को सामने ला रही है और अब नरेंद्र मोदी के शासन में बिल्कुल सामने आकर सिखों के धार्मिक मामलों में दखलंदाजी शुरू कर दी है, जो बरदाश्त के काबिल नही। जत्थेदारों ने यह भी कहा कि अगर आरएसएस को सिखों के साथ कोई रंज है, तो मोदी के राज में वह गुरूद्वारा ज्ञान गोदड़ी साहिब मूल स्थान हरिकी पोढ़ी हरिद्वार सिख पंथ के हवाले कर दें, ताकि वहां गुरूद्वारे की मुरम्मत हो सकें। सजाएं पूरी करने के बावजूद जेलों में बंद सिख कैदियों को तुरंत रिहा करें।
जत्थेदारों ने यह भी कहा कि आरएसएस की पंथ विरोधी गतिविधियों के कारण 2004 में श्री अकाल तख्त साहिब ने उनके खिलाफ हुकमनामा जारी किया था। परंतु डेरा सिरसा प्रमुख के खिलाफ जारी हुए हुकमनामे की तरह शिरोमणि कमेटी के जत्थेदार आरएसएस खिलाफ जारी हुकमनामे से पीछे हटते दिखाई दे रहे है। उन्होंने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि जिस शख्स इकबाल सिंह ने बतौरे सिख प्रतिनिधि के तौर पर हुकमनामें में हस्ताक्षर किए थे, वह भी समागम में मुख्य मेहमान के तौर पर शमूलियत कर रहा है। सरबत खालसा के जत्थेदारों ने बुधवार की शाम होने वाले इस कार्यक्रम में शमूलियत करने वाले सिखों का विरोध करने के लिए कहा तो वही सच्चे सिखों को गुरू महाराज द्वारा बख्शी गई न्यारेपन को कायम रखने का आहवाहन किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस के उक्त कार्यक्रम के खिलाफ जत्थेदार भाई जगतार सिंह हवारा पहले ही बयान जारी कर चुके है। उधर अमृतसर से भी दल खालसा ने इस संबंध में विरोध दर्ज करवाते हुए कहा कि राष्ट्रीय सिख संगत को कोई अधिकार नहीं कि वह सिखों के मामले में दखल दें।
दल खालसा के प्रधान हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सिख कौम ऐसी किसी दखलंदाजी को बरदाश्त नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि सिख सिद्धांतों के अनुसार संगत सिर्फ गुरू की होती है ना की किसी राष्ट्र की। उन्होंने सिखों को सचते रहने को कहते हुए कहा कि वह सिख विरोधी जत्थेबंदियों को सहयोग ना करें। दल खालसा ने एक कदम आगे बढ़ते हुए यह भी स्पष्ट किया कि आरएसएस के खिलाफ जो हुकमनामा जारी है, वह बदसतूर कायम है और जो भी सिख इस समारोह में हिस्सा लेंगा, वह पंथ का गददार होगा। उन्होंने तख्त पटना साहिब के प्रबंधक ज्ञानी इकबाल सिंह को पंथ विरोधियों के साथ मंच सांझा करने से भी रोका। पार्टी के प्रवक्ता कंवरपाल ने भी आरोप लगाए है कि आरएसएस सिख सिद्धांतों को तहस-नहस करने का यत्न कर रही है।
-सुनीलराय कामरेड