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बरगाड़ी इंसाफ मोर्चे से संगत का ध्यान भटकाने के लिए कैप्टन और बादलों द्वारा रैलियां करने का किया जा रहा है ड्रामा- जत्थेदार दादूवाल

सरबत खालसा के जत्थेदारों द्वारा बरगाड़ी-बेअदबी कांड के इंसाफ के लिए पिछले 1 जून से लगातार मोर्चा लगा हुआ है। जो आज 117वे दिन में दाखिल हो गया।

लुधियाना-कोटकपूरा : सरबत खालसा के जत्थेदारों द्वारा बरगाड़ी-बेअदबी कांड के इंसाफ के लिए पिछले 1 जून से लगातार मोर्चा लगा हुआ है। जो आज 117वे दिन में दाखिल हो गया। आज भी बड़ी संख्या में सिख संगत के काफिले बरगाड़ी की दानामंडी में पहुंचे हुए थे। जत्थेदार भाई ध्यान सिंह मंड और जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल ने जहां इंसाफ के लिए आई संगत का शुक्रिया कहा, वही जत्थेदार दादूवाल ने भारी इकटठ को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 4 महीनों से चल रहे संघर्ष के दौरान संगत जमीन पर दरिया बिछाकर इंसाफ के लिए बैठी हुई है। वही अढ़ाई-तीन लाख के करीब सिख संगत, संत महापुरूष संप्रदाय, धार्मिक-सियासी हिंदू-सिख- मुस्लिम लोग अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर इंसाफ की आवाज को बुलंद कर रहे है।

लेकिन सरकारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। दादूवाल ने यह भी कहा कि बादलों के शासन में शुरू हुई गुरू ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी और बेकसूर लोगों का खून बहा। कत्लेआम किए गए। कोटकपूरा चौक को जलियावाला बाग बना दिया गया और अब बादल अपने पैरों के नीचे से छिन चुकी जमीन को तलाशते हुए रैलियों के नाम पर लोगों को गुमराह करके इकटठ कर रहे है।

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कैप्टन अमेंरद्र सिंह ने भी लांबी में रैली का ऐलान करके दोषियों को गिरफतार करने के बजाए बादलों को बचाने की नीति अपनाई है। बादल और कैप्टन दोस्ताना मैच के जरिए रैलियों का नाटक कर रहे है। सरकारें रैलियां करवाने के लिए नहीं होती बल्कि इंसाफ देने के लिए बनाई जाती है।

परंतु कैप्टन अमरेंद्र सिंह बरगाड़ी बहिबल कोटकपूरा का इंसाफ करने की बजाए और बंदी सिंहों को रिहा करने की बजाए रैलियों का नाटक करने की सोच रहे है। जिसको इंसाफ पसंद पंजाब के बहादुरी पंजाबी और दुनिया में बसते सिख कभी भी बरदाश्त नहीं करेंगे।

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