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पंजाब में अलग-अलग स्थानों पर किसानों का फूटा गुस्सा, कई रेलवे ट्रैक हुए जाम, 32 ट्रेनेें प्रभावित

किसानों ने कहा कि गन्ने के भुगतान को लेकर भी सरकार गंभीर नहीं है। चीनी मिलें दोबारा शुरू हो गई हैं, लेकिन किसानों को पिछले साल की अदायगी नहीं हो पाई है।

लुधियाना : किसान मजदूर संघर्ष यूनियन द्वारा अलग-अलग मांगों को लेकर आज पंजाब भर के कई इलाकों में रेलवे ट्रैक जाम होनेकी खबरें मिली है। इस जाम से जहां रेलवे यात्रियोंको काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, वही रेलवे विभाग को भी काफी नुकसान झेलने की खबर है। आज सुबह-सवेरे से ही अलग-अलग जत्थेबंदियों ने अमृतसर, फिरोजपुर, सुलतानपुर लोधी और गुरूहरसहायइलाकों में रेलवे लाइनों को जाम किया था। मालवा में किसानों ने कई स्थानों पर रेले रोंकी औरइसके लिए पुलिस ने किसानों को गिरफतार करने के लिए कई जगहों पर छापेमारी की रही है।
इस जाम से कई यात्री गाडिय़ां प्रभावित हुई है। जबकि कई इलाकों में किसान नेताओं को सुबहसवेरे से ही घरों से दबोचकर पुलिस थानों में बंद कर दिए गए, जिनमें सुलतानपुर लोधी के किसान आगु जत्थेदार परमजीत सिंह खालसा, तरसेम विक्की जैनपुर भी शामिल है। किसान पराली का सही हल ना होने के कारण आग लगाने वाले किसानों के विरूद्ध दर्ज मुकदमों को रदद करवाने और पराली ना जलाने वालों को मुआवजा राशि जारी करने की मांग कर रहे थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक आज अपनी मांगों को लेकर राइयां में अमृतसर-दिल्ली रेलवे लाइन पर धरना लगाया गया। किसानों ने धरना लगाकर अमृतसर से जैनगर जाने वाली 14674 शहीद एक्सप्रैस ट्रेन रोक ली, वही उन्होंने नंगल डैम 4506 भी रोके रखी। स्मरण रहे कि किसानों के इस धरने को लेकर पुलिस द्वारा उनपर लाठीचार्ज भी किया गया। 
इस ट्रैक के जाम होने से अमृतसर और नई दिल्ली के मध्य रेल काफी प्रभावित हुई है। इसी कारण शताब्दी, शान-ए-पंजाब समेत कई रेल गाडिय़ों को रदद किया गया। वही शताब्दी अमृतसर की बजाए ब्यास तक ही चली। उधर तरनतारन के इलाके में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सदस्यों ने अलग-अलग मांगों को लेकर गोहलवड़ के नजदीक अमृतसर रेलवे लाइन पर धरना लगाया। इस अवसर पर किसान आगुओं ने केंद्र और पंजाब सरकार के विरूद्ध काफी नारेबाजी की और चेतावनी दी कि जब तक किसान मजदूरों की मांगे लागू नहीं की जाएंगी, तब तक यह धरना जारी रहेंगा। स्मरण रहे कि आज सुबह-सवेरे से ही पंजाब पुलिस द्वारा अलग-अलग किसान आगुओं को धरने की चेतावनी के चलते घरों से गिरफतार कर लिया गया था। 
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फिरोजपुर के इलाके गुरूहरसहाय के साथ लगते गांव कोहरसिंह वाला में अपनी मांगों को लेकर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी जौन गुरू हरसहाय और जौन ममदोट के किसानों द्वारा फिरोजपुर-फाजिलका रेलवे ट्रैक जाम करके धरना लगा दिया गया। इस मोके किसान आगुओं ने बताया कि बीते दिनों उनकी सरकार के अधिकारीयों से बैठक हुई थी, जिनमें उनकी मांगों को मान लिया गया था। मांगें मान लिए जाने के बावजूद सरकार द्वारा लागू नहीं किया गया, जिसके चलते आज उन्होंने रेलवे ट्रैक जाम करके धरना दिया है। उन्होंने बताया कि जब तक उनकी मांगों का स्थाई हल नहीं किया जाता, तब धरना जारी रहेंगा। इसी धरने के चलते फाजिलका से चलकर जाने वाली डीएमयू गाड़ी के ड्राइवर द्वारा गुरू हरसहाय में रोक दी गई। खबर लिखे जाने तक रेलवे के मुताबिक किसान राज्य के विभिन्न ट्रैकों पर जमे हैं। पंजाब पुलिस के साथ-साथ रेलवे पुलिस भी प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण के लिए तैनात है। 
प्रदर्शनकारियों ने 20 मेल, 12 पैसेंजर ट्रेनों को रोक दिया है। इन ट्रेनों को ब्यास-जालंधर, फिरोजपुर-लुधियाना, फिरोजपुर-फाजिल्का के बीच रोका गया है। इनमें लगभग 25 से 30 हजार यात्री सफर कर रहे हैं। फिरोजपुर रेलमंडल के डीआरएम राजेश अग्रवाल ने यात्रियों से संयम बरतने की अपील की है। किसानों के प्रदर्शन के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अभी तक अंबाला पैसेंजर को रद कर दिया गया है, जबकि शान-ए-पंजाब को जालंधर ही रोक कर यहीं से उसे वापस दिल्ली के लिए रवाना किया जाएगा। इसी तरह शताब्दी को ब्यास में रोका गया है। यहीं से वापस उसे दिल्ली भेजा जाएगा। इसके अलावा दिल्ली- पठानकोट एक्सप्रेस को जालंधर कैंट से होते हुए पठानकोट भेजा गया है। फिरोजपुर में किसान मल्लांवाला-मक्खू रेल लाइन के बीच गेट नंबर बी-99 पर धरने पर बैठे हैं। 
किसानों का कहना है कि सरकार उनके साथ धोखा कर रही है। फसलों का पूरा पैसा नहीं दिया जा रहा है। गन्ने की फसल का भुगतान भी समय पर नहीं किया जा रहा है। किसान पराली जलाने के आरोप में किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को पराली न जलाने को लेकर मुआवजे की राशि पहले किसानों के बैंक खाते में तत्काल जमा करवानी चाहिए। पराली को खेत से इंडस्ट्री तक लेकर जाने का पूरा खर्च भी सरकार को उठाना चाहिए। किसानों ने कहा कि गन्ने के भुगतान को लेकर भी सरकार गंभीर नहीं है। चीनी मिलें दोबारा शुरू हो गई हैं, लेकिन किसानों को पिछले साल की अदायगी नहीं हो पाई है।

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