लुधियाना-संगरूर : पंजाब के शहीद उधम सिंह के नाम से विख्यात सुनाम कस्बे के नजदीक लगते गांव भगवानपुरा में 6 जून की दोपहर को अपने ही पिता से मिलने को उतावले हुए 2 वर्षीय मासूम ‘फतेहवीर’ के 140 फु ट गहरे बोरवेल के कूपे में गिरने के बाद हुई मौत के बाद मासूम फतेहवीर सिंह का अंतिम संस्कार तमाम रिश्तेदारों, विभिन्न पार्टीयों के सियासी नेताओं, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की मोजूदगी में अनाज मंडी स्थित शमशान घाट में कर दिया गया।
फतेहसिंह की मृत देह पीजीआई चंडीगढ़ से पोस्टमार्टम के बाद हैलीकैप्टर द्वारा जब भगवानपुरा के शमशान घाट में सीधी पहुंची तो उपस्थित हजारों की संख्या में मोजूद लोगों ने प्रशासन, सरकार और बचाव कार्य में जुटी एनडीआरएफ की टीमों के खिलाफ गुस्से का इजहार किया। लोगों का रोष था कि नम्बर बनाने के चक्कर में बचाव कार्य के दौरान अलग-अलग एक्सपेरीमेंट मासूम बच्चे पर भारी पड़े। गर्मी की तपिश और जमीन के अंदर हुंई हुमस के दौरान आखिर फतेहवीर कब इस दुनिया को अलविदा कह गया किसी को भनक तक ना लगी।
हालांकि दूसरी तरफ मासूम के खडडे में गिरने की भनक लगते ही उसके परिवार वालों समेत प्रशासन और गांववासियों ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुरूप बचाव कार्य शुरू किए किं तु तमाम कोशिशें और 108 घंटों के संघर्ष के दौरान फतेहवीर सिंह ने 5 रातें और 6 दिन मौत के कूपे में गुजारे। इस दौरान पता नहीं उस मासूम ने अपने मां-बाप समेत किस-किस को याद किया होगा।
बहरहाल बाहर हजारों की संख्या में इकटठे हुए आसपास के दर्जनों गांवों के लोगों ने फतेहवीर के लिए पूजा – पाठ, गुरूघर में अरदासों समेत दुआओं का दौर जारी रखते हुए अपने- अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक मन्नतों का दौर जारी रखा कि मासूम फतेहवीर सिंह मौत पर विजय हासिल करके अपने नाम के अनुरूप को यर्थात कर सकें। फतेहवीर सिंह के दादा रोहि सिंह के मुताबिक शादी के 7 वर्षो के अंतराल के बाद लंबी दुआओं और अरदासों के बीच उनके पोते का जन्म हुआ था किंतु उन्हें क्या मालूम था कि उनका संबंध थोड़े समय के लिए ही हुआ है। दूसरी तरफ फतेहवीर सिंह की मां का रो-रोकर बुरा हाल था।
तमाम धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक भगवानपुरा के नजदीक शेरों गांव के नजदीक अनाज मंडी में स्थित शमशान घाट में मासूम फतेहवीर का अंतिम संस्कार कर दिया गया। फतेहवीर को आखिरी विदाई देने के अवसर पर मोजूद हर शख्स की आंखें नम थी। जब मासूम बच्चे की मृत देह घर की दहलीज पर पहुंची इकलौते पुत को देखकर परिवार की चीखे निकल पड़ी। कहा जा सकता है कि फतेह की मां अपने जिगर के टुकड़े के दुख को बदर्शात नहीं कर पा रही थी और इस दुख की घड़ी में रिश्तेदारों के अलावा असंख्य गांवों के लोग पीडि़त परिवार को हौसला देने की कोशिश कर रहे थे जबकि हौसला देने वालों की आंखों में अश्रुधाराएं फूट रही थी।
इसी दौरान मासूम बच्चे को ना बचाये जाने के मामले में संगरूर के डिप्टी कमीश्रर और एसएसपी द्वारा मिशन फतेह फेल होने के बाद अपनी गलतियां मानते हुए अवाम से माफी मांगी है। दूसरी तरफ मासूम बच्चे के दादा रोहि सिंह ने एक वीडियो के द्वारा लोगों को अपील की है कि फतेहसिंह के नाम पर आम जनता को परेशान ना करें और ना ही उसके नाम पर कोई धरना प्रदर्शन किया जाएं। उन्होंने कहा कि जो लोग फतेहवीर को प्यार करते है वह अपने-अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के मुताबिक धार्मिक स्थानों पर फतेहवीर के लिए अरदास करें।
इससे पहले आज मंगलवार की सुबह-सवेरे सवा पांच बजे के करीब भगवानपुरा में 140 फीट गहरे दस वर्ष पुराने बोरवेेल में गिरे फतेहवीर सिंह को 108 घंटे के नाटकीय घटनाक्रम के बाद निकाल लिया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। बच्चे को बोरवेल से निकालने के बाद चंडीगढ़ पीजीआई ले जाया गया, जहां बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया। दूसरी ओर बच्चे की मां बेहोशी हालत में है और परिवार का भी बुरा हाल है। पीजीआइ में अकाली नेता परमिंदर सिंह ढी़ंढसा सहित कई नेता भी पहुंचे थे। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बच्चे की मौत पर दुख व्यक्त किया है।
दूसरी ओर, लोगों का सरकार और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा है। लोग सरकार और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों के विरोध को देखते हुए पोस्टमार्स्टम हाउस के बाहर कड़ी सुरक्षा की गई थी। लोगों ने मोर्चरी के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। दूसरी ओर, फ़तेहवीर के शव का पोस्टमोर्टम होते ही पीछे की गेट से भारी सुरक्षा के बीच निकाल कर गांव भगवानपुरा में भेजा गया।
उधर, पंजाब के कई इलाकों में फतेहवीर की मौत के बाद लोगों का प्रशासन और पंजाब सरकार पर गुस्सा फूट पड़ा है। गांव और संगरूर में भी लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और धरना दे रहे हैं। लोगों का आरोप है कि प्रशासन और सरकार की लापरवाही के कारण बच्चे को समय पर नहीं निकाला जा सका और उसकी जान चली गई। लोगों ने टेंट लगाकर धरना देना शुरू कर दिया है। जबकि सुनाम के बस स्टैंड के पास धनौला में लोगों ने संगरूर-बरनाला रोड़ जाम करके अपने गुस्से का इजहार किया। प्रशासन और सरकार के विरूद्ध नारेबाजी की जा रही है। लोगों ने संगरूर के नजदीकी गांव बड़रुखां के बाहरसंगरूर-बठिंडा मेन मेन रोड पर फतेहवीर की मौत के विरोध में प्रदर्शऩ किया और धरना देकर बैठ गए। लोगों ने डीसी व एसएसपी को सस्पेंड करने की मांग की। लोग कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिंगला खिलाफ नारेबाजी की। लहरागगा में भी लोगों ने फतेहवीर सिंह की मौत के विरोध में प्रदर्शन किया।
स्मरण रहे कि फतेहवीर बोरवेल में पिछले पांच दिनों से फंसा हुआ था और उसे निकालने की कोशिशों के दौरान बार-बार दिक्कत आने के कारण समय पर नहीं निकाला जा सका और उसकी मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक आखिर छठे दिन की सुबह रेस्क्यू आपरेशन के दौरान अंत में फतेहवीर सिंह को बोरवेल से रस्सी से खींचकर बाहर निकाला जा सका। इसमें देसी जुगाड़ का अहम रोल रहा। गांव मंगवाल के गुरिंदर सिंह नामक व्यक्ति ने एक कुंडी नुमा सरिया का प्रयोग कर फतेहवीर सिंह के चारों तरफ फंसी बोरी को धीरे-धीरे हटाया और उसे बाहर निकालने में आ रही रुकावट को दूर किया गया।
मात्र 15 मिनट के इस कार्य के बाद एनडीआरएफ की टीम को उसने सूचना दी कि वह फतेहवीर सिंह को अब खींचने का प्रयास करें। इसके बाद एनडीआरएफ की टीम ने फतेहवीर सिंह को खींचकर बोरवेल से बाहर निकाला। गौर हो कि गुरिंदर सिंह सबमर्सिबल पंप की बोरवेल से मोटरें निकालने का काम करता है व पहले दिन भी उसने मौके पर पहुंचकर प्रशासन से इस विधि का प्रयोग करने की अपील की थी, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। मंगलवार सुबह उसने एक बार फिर प्रशासन से उसे मौका देने की फरियाद की, जिसके बाद उसे मौका दिया गया था, जिसमें वह कामयाब रहा।
– सुनीलराय कामरेड