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13 सालों से वांछित खालिस्तानी आतंकी जालंधर में काबू

पंजाब में काउंटर इंटेलिजेंस और जालंधर पुलिस के संयुक्त अभियान के दौरान विशेष पुलिस ने 2006 से वांछित खालिस्तानी कमांडर फोर्स और खालिस्तान

लुधियाना-जालंधर : पंजाब में काउंटर इंटेलिजेंस और जालंधर पुलिस के संयुक्त अभियान के दौरान विशेष पुलिस ने 2006 से वांछित खालिस्तानी कमांडर फोर्स और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स से जुड़े एक खतरनाक आतंकी को गिरफतार करने में सफलता हासिल की है। आतंकी अमरीक सिंह की पहचान नकोदर के गांव सरीहा के रहने वाले के रूप में हुई है और वह पिछले कुछ सालों से यूगांडा में रह रहा था। अकसर वेशभूषा बदलने में माहिर अमरीक सिंह इतना शातिर है कि वह कुछ समय बाद ही अपना हुलिया बदलकर कभी कृषि करने वाले किसान तो कभी क्लीन शेव होकर हिंदू के रूप में चकमा देकर काम निकाल लेता था। कभी-कभार वह मुसलमान तो कभी पगड़ीधारी युवक बनने के कारण पुलिस की गिरफत से दूर रहता था।

28 अप्रैल 2006 में हुए जालंधर बस स्टैंड के दो बम धमाकों के मामले में वांछित खालिस्तान कमांडो फोर्स व खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स से जुड़े चरमपंथी को गिरफ्तार करने के बारे में मीडिया से रूबरू होते हुए काउंटर इंटेलिजेंस हरकमल प्रीत खख ने बताया कि अमरीक सिंह 2006 के दो मामलों में भगोड़ा था। उस पर यह मामला सतनाम सिंह सत्ता के जालंधर बस स्टैंड पर किए दो बम धमाकों के मामले में अमरीक पर दर्ज किए गए थे। धमाके पाकिस्तान में बैठे केजेडएफ प्रमुख रणजीत सिंह नीटा और यूएसए के बलविंदर सिंह पोसी ने करवाए थे।

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गिरफ्तार आरोपित ने प्रारंभिक पूछताछ में बताया कि वह वर्ष 1992 से 1995 तक आतंकवाद के समय आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। वह खालिस्तान कमांडो फोर्स के प्रमुख आतंकी गुरदीप सिंह, दीपा हेरा वाला का साथी रहा है। इन आतंकियों ने उसे एक रिवॉल्वर और एक पिस्टल मुहैया करवाया था। इसका इस्तेमाल उसने वर्ष 1995 में की गई एक डकैती में किया था। वर्ष 1998 में उसने साथियों के साथ मिलकर गुरुनगर मॉडल टाउन जालंधर में हरविंदर सिंह भोला की हत्या कर दी थी। इस मामले में अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कैद के दौरान वह पैरोल पर आया था और बाद में भागकर युगांडा चला गया था। 2003 में उसके भारतीय पासपोर्ट की समय सीमा समाप्त हो गई और उसने युगांडा गणराज्य से अपने पिता का नाम हरमेल सिंह दर्ज करवाकर गलत जन्मतिथि के आधार पर पासपोर्ट बनवाया।

खख ने कहा कि अमरीक सिंह पाकिस्तान स्थित रंजीत सिंह नीटा और यूएस बेस्ड परमजीत सिंह, बाबा गद्दरी और बलविंदर सिंह पोसी, हैप्पी के साथ निकटता में रहा है, जो आतंकी संगठन केजेडएफ से संबंधित है। वर्ष 2003 में, बलविंदर पोसी और रणजीत नीटा के निर्देश पर उसने सतनाम सिंह, सट्टा लसुरी और निर्मल सिंह को युगांडा आने के लिए प्रायोजन भेजा, उन्हें युगांडा में प्राप्त किया। युगांडा में उसके प्रवास का प्रबंधन किया और बाद में वहां से सतनाम सिंह को बम बनाने और अन्य हथियार चलाने के प्रशिक्षण दिलवाने के लिए पाकिस्तान भेजा।

साल 2012 में अमरीक सिंह को युगांडा पुलिस ने अवैध मानव तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार किया और वह चार साल तक युगांडा जेल में रहा। इस मामले के कारण युगांडा में भारतीय दूतावास ने उन्हें तीन बार भारतीय वीजा देने से इन्कार कर दिया। जनवरी 2017 में वह नेपाल के रास्ते भारत पहुंचा, वह नेपाल के काठमांडू में 14 दिनों तक रहा और उसके बाद वह ट्रेन द्वारा नेपाल सीमा से दिल्ली पहुंचा और बस से अपने गांव चला गया। अब वह वैध वीजा के बिना भारत में अवैध रूप से रह रहा था। उसे एक विश्वसनीय स्रोत द्वारा दी गई सूचना के बाद गिरफ्तार किया गया है। उसके खिलाफ पुलिस थाना सदर जालंधर में मामला दर्ज किया गया है।

– सुनीलराय कामरेड

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