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गुरूघर के लंगरों पर जी.एस.टी. संबंधित केंद्रीय वितमंत्री का बयान गुमराह करने वाला – भाई लौंगोवाल

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लुधियाना-अमृतसर : सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने देश के केंद्रीय वितमंत्री अरूण जेतली द्वारा गुरूद्वारों में संगत के लिए लगने वाले लंगरों पर जीएसटी संबंधित बयान को गुमराह करने वाला बताया है। स्मरण रहे कि देश के 25वें वितमंत्री अरूण जेतली ने 88वां आम बजट पेश करने उपरांत बयान देते कहा था कि गुरूद्वारा साहिब के अंदर खिलाएं जाने वाले लंगरों पर किसी भी प्रकार का कोई भी टैक्स नहीं लगाया जाता। एसजीपीसी के प्रधान जत्थेदार भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने श्री जेतली के इस बयान को तथ्यों से कोसो मील दूर बताया है। एसजीपीसी द्वारा जारी प्रैस विज्ञप्ति में शिरोमणि कमेटी प्रवक्ता स. बलजीत सिंह बेदी ने भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल का हवाला देते हुए कहा है कि केंद्रीय वितमंत्री का बयान सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि अरूण जेतली कह रहे है कि गुरूघर के लंगरों के लिए किसी भी सामग्री पर जीएसटी नहीं है जबकि सच्चाई में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की सरकार में एक जिम्मेदार शख्स का ऐसा बयान केंद सरकार की व्यवस्था पर सवालिया निशान है। उन्होंने बताया कि जब से देश भर में जीएसटी लागू हुई है उसी वक्त से लंगरों के उपयोग में आने वाली समस्त सामग्री पर इस टैक्स का भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि शिरोमणि कमेटी द्वारा तभी से अब तक इस टैक्स के विरूद्ध आवाज उठाई जा रही है और देश के प्रधानमंत्री, वितमंत्री समेत सांसद सदस्यों को भी पत्र लिखे जा चुके है। उन्होंने कहा कि लंगर पर जीएसटी माफ है तो सरकार द्वारा इस संबंध में सरकुलर क्यों नहीं जारी किया गया? उन्होंने सवाल उठाया कि इतने महीने बीत जाने के बावजूद शिरोमणि कमेटी के पास सरकार द्वारा जीएसटी माफी होने के संबंध में कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री के बयान के साथ स्थिति और अधिक पेचीदा बन गई है। अगर सचमुच ही धार्मिक स्थानों को इस टैक्स से मुक्त किया गया है तो केंद्रीय मंत्री को इसकी लिखित तौर पर अधिसूचना जारी करनी चाहिए।

गौरतलब है कि केंद्रीय वितमंत्री अरूण जेतली ने स्पष्ट किया कि दरबार साहिब अमृतसर में बांटे जाने वाले लंगर और प्रसाद की सामग्री के ऊपर किसी भी प्रकार का जीएसटी नहीं लगाया। एक टीवी चैनल को भी दिए गए इंटरव्यू में वितमंत्री ने कहा था कि हकीकत है कि धार्मिक स्थानों पर बाटे जाने वाली लंगर की सामग्री को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि टैक्स उन वस्तुओं पर लगाया जाता है, जो बेची जाती है। लंगर बेचा नहीं जाता और इसलिए इसके किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने विशेष तौर पर गुरूधामों का नाम लिया था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी और शिरोमणि अकाली दल समेत कई पंथक नेता कें द्र सरकार पर लगातार दबाव बना रहे थे कि लंगर को जीएसटी से मुक्त किया जाएं। हालांकि पिछले साल इस बारे विवाद के स्वर उठने के बाद केंद्रीय मंत्री और अकाली दल नेता हरसिमरत कौर बादल ने भी वितमंत्री से अपील की थी कि जीएसटी को लंगर से हटाया जाएं । जीएसटी देश में पिछले साल 1 जुलाई को लागू हुई थी तभी से मीडिया रिपोर्टो में अलग-अलग समुदाय से संबधित धार्मिक स्थानों पर लगने वाले लंगर व्यवस्था के ऊपर जीएसटी भुगतान के बारे में प्रश्नचिन्ह लगे हुए थे।

– सुनीलराय कामरेड

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