लुधियाना-अमृतसर : 11 साल पहले लुधियाना की केंद्रीय जेल में जन्मी और अमृतसर की जेल में खूंखार और समाज विरोधी कैदियों के बीच पली-बढ़ी मासूम हिना लंबे अंतराल के बाद आज अपनी मां और मासी समेत अटारी-वाघा बार्डर के जरिए भारत के विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिलने पश्चात वैध तरीके से रिहा होकर अपने वतन वापिस लौट गई।
हालांकि हिना के भारत में जन्म लेने के बाद पाकिस्तान ने उसे अपना नागरिक मानने से इंकार कर दिया था किंतु एडवोकेट नवजोत कौर चब्बा ने 6 साल पहले जेल प्रशासन को अपने तर्को और मानवीय पहलुओं का हवाला देकर हिना को उसकी मां के साथ रहने के आदेश दिलवा दिए और पाकिस्तान में बढ़ते मानवीय दबावों के बीच हिना को भी अपनी नागरिक मान लिया। नवतेज के मुताबिक जब हिना 5 साल की हुई तो जेल प्रशासन ने उसको चाइल्ड केयर सैंटर में भेजने की तैयारी कर रखी थी परंतु हिना की मां नहीं चाहती थी उसके जिगर का टुकड़ा उससे जुदा हो, इसलिए अन्य कैदियों की तुलना में इस मामले को अदालत में भी अलग नजरिए से देखा और जेल प्रशासन ने हिना के प्रति सदभावपूर्ण रवैया अपनाते हुए उसकी पढ़ाई का पूरा ख्याल रखा।
हिना के साथ उसकी मां फातिमा बीबी और मासी मुमताज भी पाकिस्तान पहुंच गई है। इस दौरान तीनों की तन-मन-धन से कानूनी पैरवी करने वाली महिला वकील नवजोत कौर चब्बा भी अपने चुनिंदा साथियों समेत उपस्थित थी। आज जेल में बंद पाकिस्तानी नागरिक फातिमा उसकी बहन मुमताज और 11 साल की बेटी हिना की जिंदगी में 2 नवंबर का दिन जन्नत जैसा है। उन्हें 12 साल के बाद अपना वतन और परिवार नसीब होने जा रहा है। मासूम हिना के लिए वतन पहुंचना एक सपने जैसा था। आज वीरवार की सुबह तीनों वतन के लिए रवाना हो गए। वतन वापसी से पूर्व फातिमा ने कहा, पीएम मोदी को विशेष धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके प्रयासों से यह सब संभव हुआ। मैं भारत को सलाम करती हूं। वकील चब्बा ने बताया कि केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से उन्हें इनकी रिहाई की जानकारी दे दी गई थी। भारत ने आज नौ मछली पालकों, चार सिविलियन को रिहा किया है। रिहा हुए लोगों ने कहा कि जेल में उन्हें किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
जानकारी के मुताबिक फातिमा बीबी और मुमताज का यह मामला उस समय 2006 में अखबारों की सुर्खियां बना जब यह दोनों संगी बहनें यूपी के मुजर्फर नगर में रहने वाले अपने रिश्तेदारों क ो मिलने पाकिस्तान से आई थी और उन्हें पुलिस ने हेरोइन की तस्करी के दोष में गिरफतार किया था। गिरफतारी के वक्त बीबी फातिमा गर्भवती थी और अदालत में चले केस के दौरान दोनों महिलाओं को 10-10 साल की कैद और 2-2 लाख रूपए जुर्माना ठोका था। लुधियाना की जेल में रहने के दौरान फातिमा बीबी ने एक बच्ची को जन्म दिया जो बिना किसी कसूर के अपनी मां और मासी के साथ सजा भुगत रही थी। दोनों महिलाओं ने पिछले साल अपनी 10-10 साल की घोषित सजा को भुगतक पूरा कर लिया किंतु 4 लाख की अदायगी ना होने के कारण इन्हें जेल में रखा जा रहा था। बच्ची के केस की पैरवी कर रही वकील नवजोत कौर चब्बा ने सरबत का भला हिम्यूनिटी क्लब की सहायता से 4 लाख रूपए जुर्माना अदा किया तो दूसरी मुश्किल बच्ची की पाकिस्तानी नागरिकता को लेकर उठी तो आखिर मानवीय जत्थेबंदियों की अपील के बाद पाकिस्तान कमीशन की कौंसलर बेगम फौजिया मनजूर द्वारा अमृतसर जेल का दौरा करने और हिना से मिलने के पश्चात मामले को निपटाते हुए उसे पाकिस्तानी नागरिक करार दे दिया गया।
हिना ने पाकिस्तान जाने से पहले बेसब्री से बताया कि उसने अपने अब्बा, बहनों, भाईयों और जीजू समेत मामू को देखा नहीं किंतु वह तस्वीरों के जरिए उन्हें पहचान सकती है। फातिमा के मुताबिक उसने पाकिस्तान स्थित अपने सभी संगे-संबंधियों और तमाम रिश्तेदारों के बारे में हिना को वक्त-बेवक्त बता रखा है। भारत में वापिस आने के संबंध पर तीनों महिलाएं कानों को पकड़ते हुए तौबा करती है। हिना ने यह भी कहा कि जेल में बंद खाकी वर्दीधारी सभी आंटी-अंकल और दरोगा साहिब अच्छे और भले इंसान है, किंतु वह भारत आना पसंद नहीं करेंगी क्योंकि यहां उसे बिना किसी जुर्म किए सजा भुगतनी पड़ी है, अब वह अपने 11 साल के अंतराल को कैसे वसूलेंगी, तो हिना चहकते हुए कहा कि वह पाकिस्तान में जाकर पढ़-लिखकर डाक्टर बनेंगी ताकि मानव सेवा की जा सकें।
– सुनीलराय कामरेड