लुधियाना- फरीदकोट : शारीरिक शोषण पीडि़त महिला डॉक्टर द्वारा इंसाफ की गौहार लगाए जाने पर जबर विरोधी एक्शन कमेटी की अगुवाई में आज पूर्व र्निधारित कार्यक्रम के तहत शनिवार को डीसी कार्यालय का घेराव करने जा रहे लोगों पर पुलिस ने रोष प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों को खदेडऩे के लिए जमकर लाठियां भांजी, पानी की बौछारें फेंकी और इस दौरान अश्रुगैस के गोले भी फेंके गए।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पुलिस की इस कार्यवाही के दौरान पीडि़त महिला डॉक्टर समेत कई प्रदर्शनकारी जख्मी हुए है। धरना धारी फरीदकोट के डिप्टी कमीशनर कार्यालय के आगे पिछले 4 हफतों से दिन-रात डटे हुए थे और बाबा फरीद मैडीकल यूनिर्वसिटी आफ हैल्थ साइंस के कसूरवार सीनियर डॉक्टर के विरूद्ध मामला दर्ज करने और पीड्ति डॉक्टर को इंसाफ दिलाने की मांग कर रहे थे। इस दौरान पुलिस द्वारा कुछ लोगों को एहतियातन हिरासत में लेकर सिटी थाने ले जाया जहां से कुछ समय बाद छोड़ दिया गया।
कमेटी के सदस्य गुरू गोविंद सिंह मेडिकल कालेज व अस्पताल की पीड़ित डॉक्टर को न्याय दिलाने की मांग को लेकर डीसी दाफ्तर का घेराव करने के लिए जा रहे थे। कमेटी के सदस्य केशव आजाद ने बताया कि वह पिछले 22 दिनों से दुर्व्यवहार की शिकार महिला डॉक्टर को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैंं। जबकि पीडि़त महिला 16 नवंबर से इंसाफ के लिए धरने पर बैठी हुई है। जिला प्रशासन यूनिवर्सिटी प्रशासन के दबाव में जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रहा है।
पीडि़ता द्वारा मात्र आरोपियों को नामजद किए जाने की मांग की जा रही है, परंतु पुलिस-प्रशासन द्वारा इस दिशा में कोई काम नहीं किया जा रहा है, जिसे देखते हुए एक्शन कमेटी के सदस्य शांतिपूर्ण अपनी मांगों को डीसी दफ्तर की ओर जा रहे थे, जिसे पुलिस ने रोका। यहीं नहीं पुलिस द्वारा उन लोगों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले व वॉटर कैनेन का प्रयोग घायल किया गया, उनके दो दर्जन से अधिक साथियों को पुलिस ने हिरासत में लेकर मारपीटा है। केशव आजाद ने कहा कि पुलिस ने बर्बरतापूर्ण अपनी कार्रवाई में महिलाओं, बुजुर्गो व पीड़िता को भी नहीं छोड़ा यह बेहद दु:खद स्थिति है।
एसपी सेवा सिंह मल्ली ने बताया कि बिना किसी पूर्व परमिशन के डीसी दफ्तर का घेराव करने जा रहे सैकड़ों लोगों को पुलिस द्वारा समझाने के साथ उन्हें रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की बैरीकेटिंग तोडऩे के साथ पुलिस बल पर पत्थरों से हमला कर दिया गया, जिसमें कई पुलिस के जवान भी घायल हुए। उन्होंने मजबूरन पुलिस द्वारा हलका बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया गया।
शनिवार को पुलिस कार्रवाई के दौरान मौजूद रहने वाली पीडि़ता ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं की बात कर रहे हैंं और यहां यूनिवर्सिटी में एक महिला डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। आवाज उठाने पर यूनिवर्सटी प्रशासन उसे ही दोषी बता रहा है, जब वह अपने साथ घटित घटना में न्याय की मांग करते हुए आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रही है तो उसके शांतपूर्ण धरना-प्रदर्शन पर पुलिस-प्रशासन की ओर ऐसा अमानवीय व्यवहार देखने को मिल रहा है, जो कि दु:खद है, मैंंने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था।
– सुनीलराय कामरेड