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धर्म में धोखा : डेरेवाद का नया पैंतरा, खिजराबाद में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के स्थान पर अन्य ग्रंथ के आगे विख्यात रागी मनिंद्र सिंह श्रीनगर वालों से टिकवाया माथा, करवाया कीर्तन

सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के मुख्य सचिव डा रूप सिंह ने पंजाब के कुराली के निकट

लुधियाना-अमृतसर : सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के मुख्य सचिव डा रूप सिंह ने पंजाब के कुराली के निकट गांव खिजराबाद के एक डेरे में करवाए गए धार्मिक कार्यक्रम के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्थान पर किसी अन्य धार्मिक ग्रंथ का प्रकाश कराने और गुरू घर के रागी सिंहों को धोखे में रखकर गुरबाणी कीर्तन करवाने की सख्त शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि यह कार्रवाई सरासर धोखा है। उन्होंने इसे सिख सिद्धांतों, सिख रहित मर्यादा व सिख परंपराओं का घोर उल्लंघन बताया। एसजीपीसी मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि ऐसी घिनौनी कार्यवाही किसी भी कीमत पर बर्दाशत नहीं की जाएगी।

स्मरण रहे कि आज सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध धार्मिक रागी भाई मनिंदर सिंह की ओर से जारी वीडियों में समस्त सारा सच संगत के सामने रखा गया है। भाई मनिंदर सिंह के अनुसार उसे 24 मार्च को धोखे से धार्मिक कार्यक्रम में बुला कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति का अभास कराते हुए किसी अन्य ग्रंथ का प्रकाश किया गया था। रागी सिंह ने सिख पंथ से क्षमा याचना करते हुए स्पष्ट किया कि उसने गुरू महाराज की हूजूरी समझते हुए यहां ना केवल माथा टेका बल्कि गुरूबाणी का उच्चारण करते हुए शब्द कीर्तन भी सुनवाएं।

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हुकमनामा लेते समय उन्हें अभास हुआ कि उनके साथ धोखा हुआ है, मनिंद्र सिंह के मुताबिक विश्वासघात का आभास होते ही उसके रोंगटे खड़े हो गए। धार्मिक ग्रंथ पर श्री गुरू गं्रथ की ही भांति कोई अन्य धार्मिक सेवक चंवर साहिब की सेवा निभा रहा था और वहां रखी गई पुस्तिका भी श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के आकार की ही थी। इस दौरान उन्होंने विवेक का इस्तेमाल करते हुए वहां से खिसक जाना ही उचित समझा और आज उन्होंने अंतरात्मा की आवाज पर स्वयं को सबसे बड़ा गुनाहगार समझते हुए पंथ से माफी मांगी है और गुरू घर से क्षमा याचना भी की है कि उनसे कोई अनजाने में भूल हुई है तो वह क्षमापार्थी है।

इधर एसजीपीसी के डा रूप सिंह ने कहा कि यह सिर्फ एक रागी जत्थे के साथ ही धोखा नहीं किया गया बल्कि सारी सिख कौम के साथ विश्वासघात किया गया है। एसजीपीसी इस घटना की सख्त शब्दों में निंदा करती है। सिखों के खिलाफ जाने वाली इस तरह की साजिशें किसी भी कीमत पर सहन नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि सिख कौम का धार्मिक ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब है। इस पावन ग्रंथ के बराबर किसी भी अन्य ग्रंथ का प्रकाश नही किया जा सकता। इस मामले की जांच के लिए तख्त केसगढ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह की ओर से एक जांच कमेटी बनाई गई है। उन्होंने संगत को भी अपील की है कि जो भी इस तरह के व्यक्ति सिख सिंद्धांतों के खिलाफ काम करते है उनसे सुचेत रहा जाए।

– सुुनीलराय कामरेड

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