लुधियाना-फरीदकोट : साल 2015 में पंजाब के फरीदकोट स्थित बहिबल कलां और कोटकपूरा में पुलिस द्वारा सिख संगत पर गोली चलाने के मामले में पंजाब सरकार द्वारा गठित स्पैशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) द्वारा होशियारपुर से काबू किए गए पूर्व एसएसपी चरणजीत शर्मा से स्थानीय पुलिस स्टेशन सदर में पूछताछ जारी है। पूछताछ के दौरान सीट प्रमुख ए.डी.जी.पी प्रबोध कुमार स्वयं पूर्व एसएसपी से पूछताछ करने हेतु पहुंचे। उन्होंने करीब दोपहर 3 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक पूछताछ जारी रखी।
इससे पहले होशियारपुर सिविल लाइन की रिहायशी स्थल से गिरफ्तार पुलिस अधीक्षक चरणजीत सिंह शर्मा को विशेष जांच टीम ने विदेश भागने से पहले गिरफतार करके देर रात सख्त सुरक्षा प्रबंधों के अंतर्गत फरीदकोट स्थित डयूटी मजिस्ट्रेट चेतन शर्मा के रिहायशी स्थल पर पेश किया गया। इस दौरान चरणजीत शर्मा ने सफेद लोई ओड़ रखी थी और मुंह ढका हुआ था। जज साहिब ने करीब 20 मिनट तक बातचीत की और चरणजीत शर्मा को 8 दिन के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया। हालांकि पुलिस ने डयूटी मजिस्ट्रेट से चरणजीत शर्मा के लिए 14 दिन का रिमांड मांगा था।
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चरणजीत शर्मा को अक्तूबर 2015 में घटित मामले में स्पैशल टास्क फोर्स ने नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था लेकिन नोटिस तामील नहीं हुआ क्योंकि वह इससे बचते रहे और इसी दौरान चरणजीत शर्मा ने अदालत में अपील दाखिल कर दी थी और उसी के पश्चात एक महीने से जांच बंद थी लेकिन स्पैशल टास्क फोर्स निरंतर उनके ऊपर नजर रखे थी। जानकारी के मुताबिक चरणजीत शर्मा अपने बचाव हेतु विदेश भागने की फिराक में था। उनके पास इंगलैंड, कनाडा और अमेरिका का वीजा पहले से ही मोजूद था। किंतु एसआईटी के जिम्मेदार अधिकारियों ने उनकी तमाम कोशिशों को फेल करते हुए मजबूत घेरा बनाकर आखिर गिरफतार कर लिया।
रविवार की देर रात चरणजीत शर्मा को डयूटी मजिस्ट्रेट चेतन शर्मा के सामने पेश किया गया और शर्मा को 8 दिन के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। स्मरण रहे कि 12 अक्तूबर 2015 को हुए बहिबल कलां गोलीकांड के दौरान पुलिस का नेतृत्व चरणजीत शर्मा कर रहे थे और उसी दिन फरीदकोट के गांव बरगाड़ी में कुछ शरारती तत्वों ने सिखों के पावन गं्रथ श्री गुरू गं्रथ साहिब जी की बेअदबी करके पन्नों को फाड़ते हुए गली-मुहल्ले की नालियों और सडक़ों पर बिखेर दिए थे।
इसी के विरोध में सिख संगठनों और संगत ने कोटकपूरा और बहिबल गांव में शांतिपूर्ण ढंग से रोष प्रदर्शन करते हुए वाहेगुरू का जाप शुरू किया था तो 15 अक्तूबर 2015 को पुलिस कर्मियों ने अपने आकाओं के इशारे से श्रद्धालुओं पर गोलियां चला दी, जिसमें गांव नियामीवाला के सिख नौजवान किशन भगवान सिंह और गांव सरावा के गुरजीत सिंह की मौत हो गई और अन्य कई लोग सख्त घायल हुए थे। तत्कालीन पंजाब सरकार ने मामले को सुलझाने के लिए जोरा सिंह कमीशन का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई। सत्ता बदलते ही कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने जस्टिस रंजीत सिंह की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के बाद जांच सीबीआई से वापिस लेकर विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनाई।
– सुनीलराय कामरेड