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सरबत खालसा का जत्थेदार भाई जगतार सिंह हवारा बरी

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लुधियाना  : हथियार बरामदगी के आरोपों का सामना कर रहे चब्बे की पावन धरती पर हुए सरबत खालसा के दौरान संगत द्वारा चुने गए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार भाई जगतार सिंह हवारा को आज लुधियाना की अदालत द्वारा बरी कर दिया गया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक निचली अदालत जज वरिंदर कुमार ने सरदार हवारा को इसी मामले में दोषी करार दिया था और मामला सी.जी.एम ( चीफ़ जूडिशल मैजिस्ट्रेट ) एस के गोयल की अदालत में भेजा गया था। क्योंकि निचली अदालत को सिर्फ 3 साल की सजा देने का अधिकार है। जबकि सीजीएम की अदालत 7 साल तक की सजा सुना सकती है। यहां सुनवाई के दौरान न्यायधीश माननीय सुरेश कुमार गोयल ने भाई हवारा के वकील जसपाल सिंह मझपुर द्वारा दी गई समस्त दलीलों पर सहमति जताते हुए हवारा को बरी करने का हुकम सुनाया है।

पुलिस द्वारा जिंदा कारतूसों के साथ ए के-56 राइफल और कुछ अन्य बरामद सामग्री के मामले में पुलिस ने जगतार सिंह हवारा को नामजद किया था। पुलिस द्वारा उन पर बाकायदा अदालत में चलान पेश करके मुकदमा भी चलाया गया था। सुरक्षा कारणों से भाई हवारा को लुधियाना की अदालत में पेश नहीं किया जाता रहा और उनकी उपस्थिति विडियो कांफ्रेंसिग के जरिए होती रही। भाई हवारा आजकल दिल्ली की तिहाड़ जेल में नजरबंद है। जानकारी के मुताबिक 6 दिसंबर वर्ष 1995 में लुधियाना के घंटाघर के नजदीक हुए बम धमाके में जगतार सिंह हवारा को नामजद किया था। पुलिस द्वारा इस मामले में धारा 307 और अन्य अलग-अलग संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज किया था।

अदालत की तरफ़ से हवारा को दोषी करार दिए जाने के बाद मामला सज़ा हेतु सीजेएम के पास भेजे जाने के चलते अधिक सज़ा सुनाये जाने के अनुमान लगाये जा रहे थे,लेकिन चीफ़ जूडिशल मैजिस्ट्रेट एस के गोयल ने आज पुन: इस मामले की सुनवाई के दौरान दोनो पक्षों की बहस सुनने के बाद हवारा को सबूतों के अभाव में बरी करने का निर्णय सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष हवारा से एके 56 हथियार बरामदगी साबित करने में असफल रहा। हवारा को अदालत की तरफ़ से आज बरी किए जाने को पुलिस के लिये एक झटका माना जा रहा है।

– सुनीलराय कामरेड

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