लुधियाना-अमृतसर : शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा नियुक्त श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि सरबत खालसा द्वारा थोपे किसी भी जत्थेदार को 6 जून वाले दिन श्री अकाल तख्त साहिब से कौम के नाम संदेश जारी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जबकि 2015 में चब्बे की पावन धरती पर हुए सरबत खालसा के नियुक्त कार्यकारी जत्थेदार ध्यान सिंह मंड ने ऐलान कर रखा है कि वह श्री अकाल तख्त साहिब से कौम के नाम घल्लूघारा की बरसी के दिन अरदास के उपरांत संदेश जारी करेंगे।
पांचवें पातशाह श्री गुरू अर्जुन देव जी के बारे आपत्तिजनक टिप्पणियां करने वाले हरिद्वार के ऋषिकेश निवासी महंत नारायण दास नामक शख्स के माफीनामे पर हस्ताक्षर ही नहीं है। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज की जाएगी। दमदमी टकसाल और परमेश्वर धाम के रणजीत ङ्क्षसह ढडरिया वाले विवाद के बारे में आने वाले दिनों में सिंह साहिबॉन की बैठक में विचार किया जाएगा। आज जल्दी में बुलाई गई प्रैस वार्ता के दौरान बातचीत में श्री अकाल तखत साहिब के सिंह साहिबॉन ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि जत्थेदार सिख कौम को वही स्वीकार है, जिसको शिरोमणि कमेटी ने मंजूरी दे रखी है। नारायण दास नामक विवादित शख्स के पहुुंचे माफीनामे पर बातचीत करते हुए ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि उस माफीनामे पर कहीं भी किसी भी शखस के हस्ताक्षर नहीं है, केवल एक पत्र पंजाबी में लिखा हुआ आया था। जिसको कुछ लोग माफीनामा कह कर प्रचारित कर रहे है।
जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने यह भी कहा कि 6 जून 1984 को श्री अकाल तख्त साहिब पर केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हमला करके गोलियों और टैंको के गोलों से छलनी कर दिया था। जिसमें दमदमी टकसाल के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरावाले को अन्य साथियों के साथ जहादत का जाम प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि भिंडरावाले की बरसी मनाने और घुल्लूघारा के संबंध में 6 जून के दिन भोग डाले जाते है। हालांकि यह सौ फीसदी सत्य है कि इस समागम के पश्चात खालिस्तानी पक्ष के नारे भी गूंजते रहे है। सिंह साहिब ने ऐसे नारों से सिख संगत को परहेज रखने का हुकम भी दिया। उन्होंने अपील की कि मर्यादा को ध्यान में रखते हुए किसी भी प्रकार के नारे ना लगाएं जाएं और श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के मान- सम्मान को बहाल रखा जाएं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि नारायण दास के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज करने के लिए एसजीपीसी अमृतसर व दिल्ली कमेटी को कह दिया गया है। हालांकि इस संबंधी भविष्य में होने वाली पांच सिंह साहिबॉन की बैठक में विचार विर्मश के उपरांत निर्णय किया जाएगा। दमदमी टकसाल व ढडरिया वाले विवाद पर पूछे गए सवाल के दौरान जत्थेदार गुरबचन सिंह ने कहा कि यह टकराव कौम के लिए नुकसान दायक है। 6 जून के समारोह के उपरांत पांच सिंह साहिबॉन की बैठक बुलाई जा सकती है। जिसमें सिख रिवायतों के अनुसार विचार विर्मश करके इसे सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।
– सुनीलराय कामरेड
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