कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने शनिवार को एक बार फिर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को आड़े हाथों लेते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाएं। सिद्धू ने पंजाब सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की ‘अक्षमता’ की वजह से राज्य सरकार वर्ष 2015 के कोकटपुरा गोलीकांड के मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार करने को मजबूर हुई।
अमृतसर के विधायक ने आगे कहा कि धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी करने का विरोध कर रहे लोगों पर गोली चलाने वालों की जांच करने के लिए गठित नयी विशेष जांच टीम (एसआईटी) की अवधि छह महीने बढ़ाने से न्याय मिलने में ‘और देरी होगी।’’ उल्लेखनीय है कि सिद्धू पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने जांच रिपोर्ट रद्द किए जाने के बाद से अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ हो गए हैं।
उन्होंने अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए मामले से बचने का आरोप लगाया था। अपनी आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता की नाराजगी ‘ पूरी तरह से अनुशासनहीनता है’’ और संकेत दिया कि वह ‘आप’ में जा सकते हैं।
पंजाब के गृह विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल रहे अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘‘दुखद!! गृहमंत्री की अक्षमता की वजह से, सरकार उच्च न्यायालय के आदेश को स्वीकार करने पर मजबूर हुई है जबकि पंजाब के लोगा उसके खिलाफ हैं। नयी एसआईटी को छह महीने देने से सरकार के सबसे बड़े चुनावी वादे में और देरी होगी, दुर्भाग्य से अगले चुनाव के आदर्श आचार संहिता तक।’’
Injustice caused by deliberate delay is betrayal of People’s Mandate. After Multiple Inquiry Commissions, SITs and passage of 6 years, evidence has weakened while accused have gained in wisdom, making their defence stronger due to repetitive investigations on the same matter. 2/2
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) May 8, 2021
उन्होंने कहा, ‘‘ जानबूझकर देरी करने से हुआ अन्याय जनादेश से विश्वासघात है।’’ एक अन्य ट्वीट में सिद्धू ने कहा, ‘‘कई जांच आयोगों और एसआईटी के बाद छह साल बीत गए, सबूत कमजोर हुए जबकि आरोपियों को उसी मामलों में दोहराई गई जांच से अपने बचाव के लिए नयी युक्ति मिली।’’
गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की है जिसमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हैं और घटना की जांच के लिए छह महीने की समयसीमा तय की गई है।