लुधियाना-गुरदासपुर : देश में सरहद पार से आए पड़ोसी मुलक चाइना के कोरोना वायरस से जहां डॉक्टर , समाजसेवक , पुलिस और सफाईकर्मी दिन-रात लड़ रहे है, वही सरहदों पर तैनात सेना के जवान पड़ोसी मुलक पाकिस्तान की साजिशों को नाकाम करते हुए शहादतों का जाम आए दिन पी रहे है। इसी कड़ी में पंजाब के सीमावर्ती जिले गुरदासपुर के गांव हरचोवाल का 29 वर्षीय शूरवीर गुरचरण सिंह जम्मू कश्मीर के जिला राजौरी में भारतीय चौकी पर लगातार 4 दिन की भारी गोलीबारी के दौरान शहीद हो गया। सूत्रों के मुताबिक शहादत का जाम पीने वाले गुरचरण सिंह ने पाक समर्पित आतंकियों की लगातार गोलियों का डटकर जवाब दिया था।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक गुरचरण सिंह इसी गोलीबारी में सख्त घायल हुआ था और सैन्य अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। गांव की ही धूल-मिटटी में पलकर बड़े हुए गुरचरण सिंह की मृत देह को सेना के अधिकारियों द्वारा गांव लाया गया तो उसे अंतिम विदाई देने के लिए आसपास के दर्जनों गांवों के लोग, नजदीकी रिश्तेदार और प्रशासनिक अधिकारियों समेत कई सियासी लोग भी आए हुए थे। जहां सरकारी सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी चिता को 6 माह के बेटे अदमजोत सिंह और बुजुर्ग पिता ने अरदास के उपरांत मुखाग्नि दी। शहीद की डेढ़ साल की बेटी रजपमंजोत और बूढ़ी मां का रो-रोकर बुरा हाल था। जब शहीद की मृतक देह गांव पहुंची तो माहौल गमगीन था। शहीद के परिवारिक सदस्यों का विलाप असहनीय था। शहीद के पिता सलविंद्र सिंह, मां पलविंद्र कौर और पत्नी रंजीत कौर ने एक ही सुर में कहा कि उन्हें गुरचरण सिंह की शहीदी पर मान है। शहीद गुरचरण सिंह पंजाब सिख 14 रेजीमेंट में 17 वर्ष की आयु में सीनियर सकेंडरी स्कूल हरचेवल से 11वी कक्षा पास करके 2009 में भारत मां की सेवा के लिए भर्ती हुआ था। इसी दौरान अलग-अलग स्थानों पर देश सेवा निभाते हुए आखिर प्राणों की आहुति दे दी। शहीद गुरचरण सिंह की पत्नी, बहन, जीजा भी पंजाब पुलिस में सेवाएं निभा रहे है जबकि शहीद 2 बहनों का इकलौता भाई था।
गुरचरण ने बीती रात ही करीब डेढ़ घंटे तक परिवार से फोन पर बातचीत की थी और कहा था कि जल्द ही छुट्टी लेकर घर आएगा। लेकिन, सुबह उसकी शहादत की खबर आई तो सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो गई। शहीद के पिता सलिवंदर सिंह ने कहा कि बेटे गुरचरण ने दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहादत पाई है, बेटे की कुर्बानी पर उन्हें नाज है।
– सुनीलराय कामरेड