बलवंत सिंह राजोआना की रिहाई को लेकर मामला गर्माता जा रहा है। अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राजोआना की रिहाई मांग की है। वहीं कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने इस मांग का विरोध किया, जबकि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने राजोआना की मौत की सजा में बदलाव की बात कही है।
मनीष तिवारी ने कहा कि एक दंगा पीड़ित होने के नाते मैं अपने सहयोगी रवनीत सिंह बिट्टू की पीड़ा को समझता हूं। लेकिन, एक समय आता है जब हमें आगे बढ़ना होता है। एक वकील और पंजाब के सांसद के रूप में यह मेरा सुविचारित विचार है कि बलवंत सिंह राजोआना ने 26 साल जेल की सजा काट ली है, वह 2007 से मौत की सजा पर है, इसलिए उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने का समय आ गया है।
रवनीत सिंह बिट्टू का PM से आग्रह
कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सुखबीर सिंह बादल की ‘‘कुटिल मंशा’’ पर चिंता व्यक्त की और कहा कि बादल ने हाल में प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था और ‘‘खूंखार आतंकवादी’’ राजोआना की तत्काल रिहाई सुनिश्चित करने के लिए उनसे हस्तक्षेप का अनुरोध किया था।
कौन है बलवंत सिंह राजोआना?
लुधियाना ज़िले के राजोआना कलां गांव से ताल्लुक रखने वाला बलवंत 1987 से पंजाब पुलिस में कॉंस्टेबल भर्ती हुआ था। राजोआना को 31 अगस्त 1995 को मारे गए पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया था। इस मामले में उसको सज़ा-ए-मौत दी जा चुकी है।
राजोआना ने बेअंत सिंह की हत्या के लिए दिलावर सिंह के शरीर पर बम बांधकर उसे सुसाइड बॉम्बर बनाया था। यही नहीं, दिलावर के फेल होने की सूरत में राजोआना खुद ही उसका विकल्प होने वाला था। बब्बर खालसा इंटरनेशनल संगठन ने बलवंत सिंह राजोआना की सज़ा को लेकर उसके साथ हमदर्दी भी ज़ाहिर की थी।