लुधियाना-गुरदासपुर : पिछले 2 महीनों के दौरान सिख पंथ में सबसे ज्यादा विवादास्पद सिख चेहरे मास्टर जौहर सिंह ने इलाका संगत के विरोध के बीच पावन गुरूद्वारा छोटा घल्लुघारा साहिब से शिफट होकर अपने पैतृक गांव गुन्नोपुर में अपना ठिकाना बना लिया। गुरूद्वारा साहिब कमेटी के पूर्व प्रधान मास्टर जौहर सिंह को श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से सिख पंथ से छेके जाने के बावजूद वह गुरूद्वारा साहिब का दर छोड़ नहीं रहे थे, जिसका गुरूद्वारा बचाओं संघर्ष कमेटी भारी विरोध कर रही थी, इसी बीच सरबत खालसा के जत्थेदारों द्वारा 10 दिन की लगाई गई धार्मिक सजा को वह दरबार साहिब के बाहर पूर्ण करके वापिस अपने गांव पहुंचे है। गांव पहुंचते ही श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के भोग से पहले सोमवार की रात को उनकी संगत से झड़प हुई थी और उन्हें ऊपरी मंजिल के कमरे से जबरी निकालकर पीटा भी गया था।
संगत के लगातार संघर्ष के दबाव के चलते जिला प्रशासन भी सचेत हो गया और जिला प्रशासन ने भारी मात्रा में पुलिस की तैनाती कर दी थी और मास्टर जौहर सिंह के बयान को आधार बनाते हुए दर्जनों महिलाओं और पुरूषों पर मामला दर्ज कर लिया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मास्टर जौहर पहले गुरूद्वारा साहिब का रिहायशी स्थल छोडऩे को तैयार नहीं थे किंतु पुलिस और प्रतिष्ठित लोगों द्वारा दी गई सलाह के मध्यनजर उन्होंने गुरूद्वारा साहिब को छोडक़र अपने पुश्तैनी घर जाना उचित समझा। इस संबंध में मास्टर जौहर सिंह से जब बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। दूसरी तरफ संघर्ष कमेटी के सदस्यों का कहना है कि जौहर सिंह के हाथों की कठपुतली कमेटी गुरूद्वारा को भी पीछे हट जाना चाहिए।
जिक्रयोग है कि दो महीने पहले कमेटी के एक सदस्य बूटा सिंह को गुरूद्वारा साहिब में एक महिला के साथ आपतिजनक स्थिति में संगत ने मौके पर दबोचा था तो विवादों के उपरांत श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह स्वयं संगत के साथ गुरूद्वारा साहिब में माथा टेकने आएं थे किंतु विवादों के चलते प्रशासन ने वहां जाने की उन्हें इजाजत ना दी। जबकि मास्टर जौहर सिंह का कहना है कि उनकी प्रधानगी को एक साजिश अधीन कुछ स्वार्थी लोग गुरू घर की गोलक पर कब्जा करने की खातिर षडयंत्र कर रहे है, जिनके मंसूबे कामयाब नहीं होने दिए जाएंगे। उधर डीएसपी मंजीत सिंह का कहना है कि मास्टर जौहर ने अभी तक उनसे किसी भी प्रकार की सुरक्षा की मांग नहीं की।
– सुनीलराय कामरेड