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मास्टर तारा सिंह, गुरचरण सिंह टोहरा और जत्थेदार अवतार सिंह लंबा वक्त रह चुके है एसजीपीसी प्रधान

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लुधियाना-अमृतसर  : 1920 से लेकर 2017 तक के 103 सालों के दौरान कई शिरोमणि कमेटी के सदस्य या पंथक नेताओं को 1-1 वर्ष, कुछेक को कई महीने या केवल एक दिन की ही प्रधानगी बनने सौभागय हासिल हुआ है। वहीं,कई सदस्यों को लंबे वक्त तक इस धार्मिक संस्था के प्रधान के तौर पर मौजां मनाने का अवसर मिला है।

इस संस्था के 12 अक्टूबर, 1920 से लेकर अगस्त 1921 तक पहले प्रधान बनने का सौभागय स. सुंदर सिंह मजीठिया को मिला। जबकि दूसरा प्रधान बाबा खडक सिंह व तीसरा सुंदर सिंह रामगढिया बने। 1925 में गुरूद्वारा एक्ट लागू होने के पश्चात पहले प्रधान पुन: बाबा खडक सिंह चुन लिए गए। इसके पश्चात पंथ रत्न से सुशोभित मास्टर तारा सिंह अक्टूबर, 1930 से लेकर 1933 तक व फिर जून 1936 से 1944 तक, जून 52 से अक्टूबर 52, फरवरी 1955 से मई 1955 व मार्च से अप्रैल 1960 तक आखिरी बार मार्च 1961 से मार्च 1962 तक सात बार प्रधान बार प्रधान बने।

अन्य प्रधानों के अतिरिक्त पंथ रत्न जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा सर्वाधिक 28 साल के करीब इस संस्था के प्रधान रहे। वह पहली बार 6 जनवरी,ख्1973 को प्रधान बने व 23 मार्च 86 तक पंथक सेवा करते रहे। नवंबर 86 से 1990 दूसरी बार, तीसरी बार 1991 से अक्टूबर 1996 तक, चौथी बार दिसंबर 96 से मार्च 1999 तक व आखिरी व पांचवी बार 27 जुलाई 2003 से 31 मार्च 2004 तक प्रधान रहे।

इस दौरान दिगगज अकाली नेता जगदेव सिंह तलवंडी भी इस संस्था के प्रधान पद पर रहे। इस दौरान 2005 में पहली बार लुधियाना की अकाली सियासत में सक्रिय जत्थेदार अवतार सिंह सहजधारियों के मामले के कारण अदालती आदेशों के चलते इस संस्था के लगातार 2016 तक दस साल 7 महीने प्रधान रहे। इस संस्था की पहली व दूसरी बार महिला प्रधान बनने का भुलत्थ हलके की बीबी जागीर कौर को मिला। वह पहली बार 16 मार्च 1999 से 20 नवंबर 2000 तक प्रधान बनी व दूसरी बार उनको सितंबर, 2004 से नवंबर 2005 तक महिला प्रधान बनने का अवसर मिला।

यहां उल्लेखनीय है कि गोपाल सिंह कौमी जोकि इस संस्था के 8वें प्रधान थे को 17 जून 1933 से 18 जून 1933 तक केवल एक दिन की प्रधानगी नसीब हुई। शिरोमणि कमेटी के प्रधान रहे प्रो. किरपाल सिंह बंडूगर पहली बार 27 नवंबर 2001 से 20 सितंबर, 2003 तक प्रधा रहे व बीते साल अतवार ङ्क्षसह मक्कड की विदायगी के उपरांत 2016 में दूसरी बार इस महान संस्था के इक्यालिसवें प्रधान बनने का अवसर मिला।

– सुनीलराय कामरेड

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