पंजाब में रेल यातायात को बाधित करने के मुद्दे पर किसान संगठनों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई वार्ता बेनतीजा रही तथा दोनों ही पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े रहे।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों के साथ एक और दौर की चर्चा करेगी।
तोमर ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार और किसान संगठन पहले पटरियों की सुरक्षा का आश्वासन दें, उसके के बाद ट्रेन सेवा बहाल की जाएगी।
तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने यहां विज्ञान भवन में विभिन्न किसान संघों के प्रतिनिधियों के साथ लंबी बैठक की। इसमें पंजाब सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
करीब महीनेभर पहले केंद्रीय कृषि सचिव की पंजाब के किसानों के साथ राष्ट्रीय राजधानी में चर्चा अनिर्णायक रही थी। किसान संगठन मंत्री स्तरीय वार्ता की मांग करते हुए बैठक से बाहर चले गए थे।
यह बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के बैनर तले 26 और 27 नवंबर को दिल्ली में प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।
तोमर ने पत्रकारों से कहा, ‘ हमने कई घंटों तक चर्चा की। चर्चा सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। लेकिन उनके (किसानों के) मुद्दों पर सरकार के दृष्टिकोण पर मतभेद थे। मगर हमने उनसे कहा है कि चर्चा जारी रहेगी।
कृषि मंत्री ने कहा, ‘ हमने सरकार का दृष्टिकोण रखा। हमने उनसे कहा कि उनकी मांग और सरकार के रुख में बड़ा अंतर है और इसका तत्काल समाधान नहीं हो सकता है। हमने उनसे अनुरोध किया कि वे हमारे साथ और बैठक करें। ‘
उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को आश्वस्त किया गया है कि नए कानूनों से एमएसपी खरीद और मंडी व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
पंजाब में रेलगाड़ी चलाने पर तोमर ने कहा, ‘ रेल मंत्री ने बैठक में कहा कि जब राज्य सरकार पटरियों की सुरक्षा का आश्वासन देगी, तभी ट्रेन सेवा बहाल होगी। पंजाब सरकार और किसानों को मुद्दे पर सोचना चाहिए।’
मोदी सरकार ने पंजाब में नाकेबंदी का हवाला देकर पंजाब जाने वाली मालगाड़ियों को रोक दिया है।
अलग से जारी बयान में कृषि मंत्रालय ने कहा कि वार्ता सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों पक्षों ने चर्चा को जारी रखने पर सहमति जताई।
तोमर ने बैठक में इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हमेशा कृषि ही रही है।
उन्होंने यह उल्लेख किया कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर विशेष ध्यान के साथ सरकार किसानों का कल्याण करने के लिए कई उपाय कर रही है। नए कृषि अधिनियम न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता प्रदान करेंगे बल्कि किसानों के हितों की भी रक्षा करेंगे।
उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उस ‘सकारात्मक भावना’ का स्वागत किया जिसमें किसान संगठनों और केंद्र सरकार ने चर्चा की तथा इसे ‘ रचनात्मक घटनाक्रम’ बताया।
इससे पहले सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के रुख को सुना और पंजाब में रेल सेवा को बहाल करने के लिए समाधान पर पहुंचने की कोशिश की।
भारतीय किसान मंच के प्रमुख जत्थेदार बूटा सिंह शादीपुर ने बैठक के बाद कहा, ‘ बैठक बेनतीजा रही और हमारा पक्ष सुनने के बाद मंत्रियों ने कहा कि वे मुद्दे का समाधान करने के लिए जल्द दुबारा मिलेंगे।’
उन्होंने कहा कि किसान संघ पंजाब में मालगाड़ियों की बहाली चाहते हैं जो नाकेबंदी की वजह से बंद हैं। पंजाब में तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन की वजह से रेल सेवा बंद है।
किसान संघ 18 नवंबर को चंडीगढ़ में बैठक करेंगे जिसमें मुद्दे पर आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष नए कृषि कानूनों पर अपने-अपने रुख पर अड़े रहे।
उन्होंने कहा कि मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों ने किसान नेताओं को यह समझाने की कोशिश की कि ये कानून क्यों अहम हैं और कृषि क्षेत्र के लिए कितने लाभकारी हैं।
बहरहाल, किसान अपने इस रुख पर अड़े रहे कि इन अधिनियमों को रद्द किया जाना चाहिए और इनकी जगह अन्य नए कानून लाए जाने चाहिए जिनमें पक्षकारों के साथ ज्यादा मशविरा किया जाए। किसानों ने एमएसपी की गारंटी की भी मांग की।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि खरीद स्तर पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई लेकिन किसी सहमति पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान संघ अपने रुख पर अड़े रहे।