पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के फंडों में बड़ कटौती करके से मोदी सरकार की दलित तथा पिछड़ वर्ग विरोधी सोच उजागर हो गयी है।
केबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, चरनजीत चन्नी और अरूणा चौधरी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि इससे राज्य के दलितों और पिछड़ वर्ग के छात्रों का नुकसान होगा। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद, सरकार द्वारा पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम सम्बन्धी तैयार किया गया नया प्रस्ताव लागू होने से राज्य के अनुसूचित जातियों और पिछड़ श्रेणी के छात्रों का भविष्य तबाह हो जायेगा।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए केंद, और राज्य के पुराने 90:10 अनुपात के फार्मूले को रद्द करके 60:40 अनुपात का नया फ़र्मूला तैयार किया गया है। इस फार्मूले से जहाँ राज्य सरकारों पर भार बढ़गा, वहीं राज्य के एस.सी./बी.सी। नौजवान स्कूली और उच्च शिक्षा हासिल करने से वंचित रह जाएंगे।
कैबिनेट मंत्रियों ने नये प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि इस स्कीम के अंतर्गत फंडों की हिस्सेदारी के पुराने फार्मूले को बहाल किया जाये। इस स्कीम के तहत राज्य द्वारा वर्ष 2018 तक कुल 600 करोड़ रुपए की राशि में से 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी का योगदान डाला जा रहा था लेकिन मोदी सरकार अब अपनी हिस्सेदारी डालने से भाग रही है। इससे राज्यों की सालाना देनदारी 600 करोड़ रुपए से ज्यादा कर 750 करोड़ रुपए हो गई।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के नये फार्मूले से राज्यों पर बहुत बड़ बोझ पड़ है। केंद, सरकार का नया फ़र्मूला दलितों और पिछड़ वर्गों का नुकसान करने वाला है। इस फार्मूले के लागू होने से इन वर्गों का जीवन स्तर और नीचे गिरेगा।