लुधियाना, : किसी वक्त मानव अधिकार प्रतिनिधि स. जसवंत सिंह खालड़ा ने पंजाब में पुलिस अत्याचारों का आंकड़ा पेश किया था कि राज्य के अमृतसर जिल में 2067 व्यक्तियों को पंजाब पुलिस द्वारा रहस्यमयी हालत में गायब कर दिए गए, जिनकी लाशों को बाद में अज्ञात बताते हुए उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। परंतु आज 200 पन्नों की, ‘पंजाब डिस्अपेयर रिपोर्ट ’ ने बेहद आश्चर्यजनक खुलासा किया कि उस वक्त आतंकवाद के काले दौर के दौरान पंजाबभर में 8 हजार 257 व्यक्ति पुलिस द्वारा उठाकर गायब कर दिए गए थे और उनकी लाशों को अज्ञात बताते हुए अलग-अलग शमशान भूमियों पर अंतिम संस्कार कर दिया गया था।
पंजाब में 20वी सदी के आखिरी दशक में केंद्र सरकार और पंजाब सरकार की मिलीभगत के साथ पंजाब पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों द्वारा पंजाब के नौजवानों पर हुए अत्याचारों की ज्यादतियों की खबरों के बाद देश की बड़ी हस्तियों पर आधारित इंडीपेंडट पिपल्स ट्रिबयूनल की रिपोर्ट में परदा उठाते हुए पिछले 7 साल की खोज पूर्ण उपरांत जबरी गुमशुदगी और पुलिस मुकाबलों के नए पुख्ता सबूत मीडिया को जारी करते हुए कहा कि पंजाब में 1980 से 1995 के दौरान हुई घटनाओं के आकड़े रिलीज किए गए।
200 पन्नों की इस रिपोर्ट को जारी करते हुए सेवा निवृत्त जस्टिस सुरेश कुमार और मानव अधिकार प्रतिनिधियों ने बताया कि यह बेहद हैरानीजनक खुलासे है कि इस दौर के दौरान पंजाब में घरों से उठाकर हजारों लोगों को लापता करार दिया गया। उनका कहना था कि देश की सर्वोच्च अदालत इस सारे घटनाक्रम पर गौर करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वे जल्द ही मानयोग अदालत तक अर्पाेच्च करेंगे ताकि पंजाब में घरों से गायब हुए और कत्ल किए गए लोगों के वारिसों को इंसाफ मिल सकें।
जस्टिस सुरेश कुमार के मुताबिक उनके लिए यह काफी दर्दनाक और डरावना अनुभव रहा कि किसी ने आजतक पंजाब में इतने बड़े स्तर पर मानवअधिकारों के हनन के बारे में किसी ने कोई इंसाफ देने की बात नहीं की। रिपोर्ट में देशभर के सेवानिवृत्त न्यायधीश, वकील और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 7 हजार से अधिक पीडि़तों के बयान सुने। अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।
– सुनीलराय कामरेड