लुधियाना : 80 और 90 के दशक में आतंकवाद के दौरान पंजाब की शांति बहाली के लिए जहां अलग-अलग सियासी दलों और आम लोगों ने पाक परस्त आतंकवादियों की असाल्ट राइफलों और बमों के धमाकों में देशभक्ति की अखंडता की खातिर कीमती जानें देेकर चुकाई।
वही इस काले दौर में आतंकवादियों के लिए आतंक का प्रयार्य बन चुके महरूम कांग्रेसी मुख्यमंत्री स. बेअंत सिंह ने चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के बाहर 31 अगस्त, 1995 को सूबे के अमन-अमान के लिए अपना सर्वोच्च न्यौछावर करके देशभकित की एक जिंदा मिसाल पैदा की थी। इस दौरान आतंकियों ने उनकी कार को बम से उड़ा दिया था। इस घटना में 16 अन्य लोगों की भी मौत हुई थी।
पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने इस घटना में मानव बम की भूमिका निभाई थी, जबकि बलवंत सिंह राजोआना ने उसके साथ साजिश रची थी। राजोआना दिलावर के असफल रहने पर बैकअप की भूमिका में था। यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि राजोआना ने अपने बचाव में ना कोई वकील किया और ना ही अदालत में कोई बचने की दलील दी। उसी राजोआना की पंजाब से 3 बार सांसद बन चुके रवनीत सिंह बिटटू ने केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की।
रवनीत सिंह बिटटू ने अकाली नेता महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल के उस बयान की विरोधता करते हुए कहा कि अकाली आकर हमारी जान भी ले ले, जिन्होंने स. बेअंत सिंह को शहीद किया वो इतने हमारे खून के प्यासे है तो आकर मेरी जान ले ले। रवनीत सिंह बिटटू ने यह भी कहा कि मुझे बता दिया जाएं मैं किस चौक-चौराहे पर आ जाउं और मुझे मार दे। स्मरण रहे कि महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह का नाम लेकर कहा कि केंद्र सरकार के सिख केदियों की रिहाई के लिए फैसले का स्वागत किया है।
रवनीत सिंह बिटटू ने यह भी कहा कि राष्ट्रवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नितनए बयान दागते है। वे झूठे साबित हुए। उन्होंने कहा कि अगर देश के लाखों नागरिकों द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री की हत्या साजिश अधीन की जाती है, तो उस हत्यारे को मानवता के नाम पर माफी क्यों? रवनीत सिंह बिटटू ने कहा कि उनके दादा बेअंत सिंह के कातिल की सजा फांसी से बदलकर उम्रकेद में परिवर्तित की जा रही है, जो निंदनीय है। भविष्य में यदि उम्र कैदी के रोल पर बाहर आ गया तो सूबे का माहौल बिगड़ सकता है।
– सुनीलराय कामरेड