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आजादी दिवस बनाम धिक्कार दिवस : आजादी दिवस पर पंजाब के अलग-अलग डेढ़ दर्जन स्थानों पर सिख जत्थेबंदियों ने ‘काला दिवस’ मनाकर, मनाया रोष दिवस

एक तरफ जब भारत के लोग अपनी आजादी के जश्र को मना रहे तो दूसरी तरफ इसके विपरीत पंजाब के अंदर संघर्षशील पंथक समूहों ने 15 अगस्त के दिन को काले दिन के रूप में मनाया।

लुधियाना-अमृतसर : एक तरफ जब भारत के लोग अपनी आजादी के जश्र को मना रहे तो दूसरी तरफ इसके विपरीत पंजाब के अंदर संघर्षशील पंथक समूहों ने 15 अगस्त के दिन को  काले दिन के रूप में मनाया। भारत के 73वें आजादी दिवस के अवसर पर स्वयं से हुई बेइंसाफियां और सरकारी जबर के विरूद्ध लडऩे के अपने संकल्प को जारी रखते हुए शिरोमणि अकाली दल अमृतसर और दल खालसा समेत यूनाइटेड अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने पंजाब भर में संयुक्त तौर पर आज विरोध प्रदर्शन किए।
देश की आजादी के 73वे जश्र-ए-अवसर पर सिख जत्थेबंदियों द्वारा पावन ग्रंथों की बेअदबी और बरगाड़ी कांड के दोषियों को गिरफतार ना किए जाने के रोष स्वरूप सूबे के अलग अलग हिस्सों में रोष प्रदर्शन करते हुए आजादी दिवस को अपना मानने से इंकार करके गुस्से का इजहार किया। 
गुरू की नगरी अमृतसर स्थित भंडारी पुल पर सेकड़ों सिख नौजवानों ने शिरोमणि अकाली दल ‘अमृतसर’ के प्रधान और पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान की अध्यक्षता में काले झंडे पकडक़र रोष दिवस मनाया तो कोटकपूरा के बतियांवाले चौक में कई घंटों तक शांति पूर्वक रोष प्रदर्शन करके सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।  
संगरूर में यूनाइटेड अकाली दल और दल खालसा के आहवान पर भी सिख संगत ने सडक़ के दोनों तरफ के किनारों पर खड़े होकर काली झंडियां लहराते हुए आजादी दिवस को काले दिन के रूप में मनाया। 
अमृतसर में जम्मू कश्मीर के बाशिंदों के दर्द को उजागर करते हुए लिखे सलोगनों में ‘साडा दर्द सांझा’ और ‘साडा दुश्मन सांझा’ कहते हुए बैनर थामे हुए थे। 
इन प्रदर्शनों में दरियाई पानी की निरंतर लूट और सूबे के अधिकारों की उल्लंघना करके एनआईए द्वारा अधिक अधिकार दिए जाने और देशद्रोह कानून का गलत उपयोग करके चार पुलिस दोषियों की रिहाई के विरूद्ध और सजायाफता सिख नजरबंदियों को रिहा ना करने और बरगाड़ी केस के बारे में सीबीआई द्वारा अदालत में कलोजर रिपोर्ट समेत पंजाब के स्वयं निर्माण के अधिकार ना देने पर प्रदर्शन हुआ। 
पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर में धारा 370 तोडऩे के मुददे पर पंथक धड़ों ने मोदी सरकार के इस कदम को अल्प संखकों के लिए कौम की भावनाओं और सियासी इच्छाओं के विरूद्ध हमला करार दिया।  प्रदर्शन में सीमावर्ती जिला गुरदासपुर, फिरोजपुर, तरनतारन समेत होशियारपुर, लुधियाना, बठिण्डा और पटियाला भी शामिल थे।
– सुनीलराय कामरेड

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