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आतंकी बेअंत सिंह के बरसी पर श्री हरिमंदिर साहिब में स्थित झंडे बूंगे में डाला गया श्री अखंड पाठ साहिब का भोग

सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में 1984 के दौरान आप्रेशन ब्लू स्टार की सैन्य कार्रवाई का बदला लेने वाले आतंकी बेअंत सिंह की बरसी पर आज श्री हरिमंदिर साहिब

लुधियाना-अमृतसर : सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में 1984 के दौरान आप्रेशन ब्लू स्टार की सैन्य कार्रवाई का बदला लेने वाले आतंकी बेअंत सिंह की बरसी पर आज श्री हरिमंदिर साहिब में अखंड पाठ साहिब का भोग डाला गया। हरिमंदिर साहिब स्थित गुरुद्वारा झंडा बूंगा साहिब में आयोजित किए गए अंखड पाठ साहिब के भोग के दौरान हरिमंदिर साहिब के हजूरी रागी भाई कुलदीप सिंह गुरबाणी कीर्तन किया।

जबकि अरदास भाई कुलविंदर सिंह की ओर से निभाई गई। हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह ने कहा कि श्री हरिमंदिर साहिब पर हुए सैनिक हमले को सिख कौम कभी भी भुला नहीं सकती। बेअंत सिंह ने इस का बदला लेकर सिख कौम के अलग पहचान स्थापित की है। इस अवसर पर श्री अकाल तख्त साहिब के एक्टिंग जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह ने अतंकी सतवंत सिंह भतीजे सुखविंदर की अगवान, और बेअंत सिंह परिवार के सदस्यों को सिरोपे देकर सम्मानित किया गया।

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जानकारी के मुताबिक यह भी पता चला है कि इस अवसर पर कुछ गर्म ख्याली सिख आगुओं द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब के नवनियुक्त कार्यकारिणी सिंह साहिब जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह का विरोध भी किया गया। पंथक जत्थेबंदियों के आगु भाई कंवरपाल सिंह और जरनैल सिंह सखीरा को गुरू घर की बख्शीश सिरौपा जब जत्थेदार हरप्रीत सिंह के हाथों हासिल करने की घोषणा की गई तो जरनैल सिंह सखीरा ने ऊंची आवाज में स्पष्ट किया कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह बादलों द्वारा नियुक्त जत्थेदार है और इसको कोई भी सच्चा सिख मान्यता नहीं देता। इसलिए वह इसके हाथों कोई भी सम्मान कौमी शहीदों के नाम नहीं लेना चाहेंगे।

इसके साथ ही भाई कंवरपाल सिंह बिटटू उठकर साथियों समेत समागम से चले गए। पत्रकारों से बातचीत करते हुए कंवरपाल सिंह ने कहा कि जब तक सिस्टम नहीं बदलता चेहरे बदलने से कोई अंतर नहीं पड़ता। ज्ञानी हरप्रीत सिंह को जत्थेदार नियुक्त करने वाला सिस्टम वही है और जिन्होंने पिछले कई दशकों से तख्त साहिबान के सिद्धांतों और मान-मर्यादा को चोट पहुंचाने में भूमिका निभाई है। तख्त के जत्थेदार की मान-मर्यादा को नेस्तानाबूद करने की जो बड़ी गलती की गई है। इस दौरान ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शहीद भाई सतवंत सिंह के भतीजे सुखङ्क्षवद्र सिंह अगवाना और शहीद बेअंत सिंह के परिवार को सिरोपा पहुंचाने के लिए मनजीत सिंह भोमा को सिरौपों की बख्शीश की।

इस दौरान श्री अकाल तख्त साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई मलकीत सिंह , भगवंत सिंह सियालका, बलविंदरं सिंह जौडा सिंघा, जसविंदर सिंह दीनपुर, कुलविंदर सिंह रमदास, कंवरपाल सिंह बिट्टू, मंजीत भोमा , सर्बजीत सिंह सोहल , दिलजीत सिंह बिट्टू, दलजीत सिंह खालसा आदि भी मौजूद थे।

– सुनीलराय कामरेड

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