लुधियाना-मोगा : आज सिख इतिहास में एक नया अध्याय उस वक्त लिखा गया, जब श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बिना मांगे माफी देते समय जत्थेदारों में शामिल एक सिंह साहिबान ज्ञानी गुरमुख सिंह ने अपनी गलतियों को मानते हुए गुरूद्वारा संगत साहिब (गांव डाला)जिला मोगा में पंज प्यारों के आगे पेश हुए और अपनी गलती बखशाने के लिए स्पष्टीकरण पेश किया। पंच प्यारे सिंह भाई सतनाम सिंह, भाई मेजर सिंह, भाई मंगल सिंह, भाई तिरलोक सिंह व भाई सुखविंदर सिंह ने गुरू जुगाति के अनुसार विचार करके स्पटष्टीकरण प्रवाण कर लिया और इस पर विचार-विमर्श करने के बाद अगली बैठक में फैसला सुनाने की घोषणा कर दी।
जिक्रयोगय है कि तख्तों के जत्थेदारों ने 24 सितंबर, 2015 डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बिना मांगे माफी देने के बाद सिखों के बढ़ते रोष स्वरूप माफी का फैसला वापिस लिया गया था। आज इसी मुददे को लेकर पूर्व जत्थेदार ज्ञानी गुरमुख सिंह ने श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी की उपस्थिति में अपना लिखित स्पष्टीकरण दिया और पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि भले ही मैं दो साल बाद आज पंज प्यारों के आगे पेश हो रहा हूं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं इसी साल अप्रैल की बैसाखी के दिन दमदमा साहिब में इकटठी हुई सिख संगत के सम्मुख पेश होकर स्पष्टीकरण दे चुका हूं। उन्होंने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब जी की मान-मर्यादा कायम रखते स्पष्ट कहा था सिरसा वाले बाबा का पत्र लेकर आने में उनका कोई संबंध नहीं। उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसियों ने जान-बूझकर बदनाम किया परंतु सच सबके सामने जल्दी आ जाएंगा। इन्हीं पंज प्यारों ने श्री अकाल तख्त साहिब पर सेवा निभाते ड्यूटी की परवाह न करते हुए जत्थेदारों के फैसले का सख्त विरोध करते इन्होंने को श्री अकाल तख्त साहिब तलब करने का ऐलान किया था।
जिसके बाद बौखलाई शिरोमणि कमेटी द्वारा इन्हीं पंज प्यारों सिंहों को सेवा मुक्त करके बर्खास्त कर दिया था और सिख कौम की निगाह में यह पंज प्यारे सिंह कौमी पंज प्यारे बन गए और आज भी गुरू सिख मर्यादा के अनुसार यह धार्मिक कार्य कर रहे है। पंज प्यारों ने यह भी बताया कि 21 अक्तूबर 2015 को ज्ञानी गुरमुख सिंह श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होने के लिए आए थे। उन्हें दो दिन बाद 23 अक्तूबर को दुबारा पेश होने के लिए कहा था परंतु आज तकरीबन दो साल बाद वह पेश हुए है। उन्होंने कहा कि यह फैसला देर से लिया गया परंतु दुरूस्त है। इस संबंध में विचार-गुरमति के अनुसार सलाह-मशविरा करके श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा अनुसार फैसला लिया जाएंगा।
गुरमीत राम रहीम को बिन मांगी माफी देने पर जहां सिख कौम ने फँसले का पुरजोर विरोध किया वहीं ज्ञानी गुरमुख सिंह को सबसे अधिक दोषी करार दिया। हालांकि कुछ महीने पहले ज्ञानी गुरमुख सिंह ने सिरसा प्रमुख को माफी के लिए पूर्व मुखयमंत्री प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल द्वाररा जतथेदारों पर दबाव बनाकर माफी दिलाने की बात रखी थी। जिसके कारण उन्हें तखत श्री दमदमा साहिब की जत्थेदारी से सेवामुक्त कर दिया गया था। लेकिन ज्ञानी गुरमुख सिंह द्वारा अब पंज प्यारों के आगे पेश होकर अपनी गलती को मानते हुए एक बडा एतिहासिक फैसला है।
इस समय भाई सतनाम सिंह खंडेवाल भी विशेष तौर पर उपस्थित थे लेकिन खराब सेहत के कारण भाई सुखविंदर सिंह ने सेवा निभाई। उन्होंने दो अन्य तखतों के जत्थदेारों को भी निवेदन किया कि वे भी गुरमुख सिंह के फैसले से सबक लेते हुए अपने माथे पर लगा कलंक मिटाने के लिए अपना पक्ष रखे।
– सुनीलराय कामरेड