लुधियाना-फरीदकोट : श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का स्वरूप धारण करने के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल के दबाव में माफी दी गई थी। 2015 के बहिबल कलां व कोटकपूरा गोलीकांड की घटनाओंं की जांच करने वाली स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) की चार्जशीट में शामिल श्री पटना साहिब के तत्कालीन जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह खालसा के पत्र में यह दावा किया गया है।
जिसके साथ मामले की पूरी कहानी बदलती ही नजर आ रही है। इसके मुताबिक पिछली बादल सरकार ने जिन पुलिस अधिकारियों को मामले की जांच सौंपी थी, उन्होंने ही दोषी अधिकारियों के साथ मिलकर सबूत मिटा दिए। घटनाक्रम का नक्शा तक बदल दिया। फायरिंग में इस्तेमाल किए गए सरकारी हथियार अगले दिन मोगा पुलिस के पास जमा करवाकर नए हथियार निकलवाएं गए। पोस्टमार्टम में लाशों पर गोलियों के निशान ऊपर से नीचे तक थेे यानि गोलियां तक टैम्पर कर दी गई।
एसआइटी गोलीकांड की घटनाओं को राम रहीम को श्री अकाल तख्त साहिब से मिली माफी से जोड़ रही है। एसआइटी रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा प्रमुख से पूछताछ करने की कोशिश भी कर रही है। एसआइटी ने फरीदकोट की अदालत में में चार्जशीट दाखिल की है, उसमें ज्ञानी इकबाल सिंह का एक पत्र को भी शामिल किया गया है। यह पत्र ज्ञानी इकबाल सिंह ने एसआइटी के सदस्य व आइजी कुंवर विजय प्रताप सिंह को लिखा था। इसमें उन्होंने 24 सितंबर, 2015 को श्री अकाल तख्त साहिब पर डेरा प्रमुख को माफी देने के पूरे मामले को उजागर किया है।
चार्जशीट का हिस्सा बने सात पेज के पत्र में ज्ञानी इकबाल सिंह ने कहा है कि 23 सितंबर, 2015 को वह श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह के बुलावे पर बैठक के लिए अमृतसर पहुंचे थे। उन्हें बैठक का विषय नहीं बताया गया था। अगले दिन 24 सितंबर को वह तय समय पर श्री अकाल तख्त साहिब पहुंच गए, जहां पर वह ज्ञानी गुरबचन सिंह से मिले और वहां तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरमुख सिंह, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी मल सिंह व तख्त श्री हजूर साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रामसिंह भी हाजिर थे।
पत्र के अनुसार ज्ञानी इकबाल सिंह को जब बैठक का विषय पता चला, तो उन्होंने डेरा प्रमुख को माफी देने का विरोध किया। उनके बार-बार विरोध करने पर ज्ञानी गुरबचन सिंह ने उनसे कहा कि डेरा प्रमुख को माफी देनी ही पड़ेगी, क्योंकि प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल ने इच्छा जताई है।
पत्र में ज्ञानी इकबालसिंह ने दावा किया कि जब उन्होंने माफीनामे के लिए आई डेरा प्रमुख की चि_ी मांगी तो उसमें माफी जैसी कोई बात ही नहीं थी। इस पर भी उन्होंने आपत्ति जताई। उनके विरोध के बाद चि_ी में बाद में खुद ही क्षमा याचना शब्द जोड़ा गया और उन्हें धमकियां देते हुए जबरन हस्ताक्षर करवाए गए।
पत्र में यह भी दावा किया है कि माफीनामे को लेकर बैठक में ज्ञानी गुरबचनसिंह व ज्ञानी गुरमुख सिंह के पास बार-बार सुखबीरसिंह बादल का फोन आ रहा था। बैठक में सुखबीर बादल के धार्मिक मामलों के पीए अवतार सिंह भी थे। बाद में विश्वव्यापी विरोध के बाद 16 अक्टूबर, 2015 को श्री अकाल तख्त साहिब पर बैठक बुलाकर डेरा प्रमुख के माफीनामे को वापस ले लिया गया। इस बैठक में तख्त श्री हजूर साहिब से कोई सिंह साहिब नहीं पहुंचे, तो श्री हरमंदिर साहिब के ग्रंथी ज्ञानी रघुबीर सिंह को बुलाकर कोरम पूरा करके माफीनामे को रद किया गया।
ज्ञानी इकबाल सिंह का आरोप है कि डेरा प्रमुख को माफी देने के फैसले में प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर के अलावा पार्टी के महासचिव दलजीत सिंह चीमा की भी भूमिका थी। कुछ समय ज्ञानी इकबालसिंह को यह भी पता चला था कि माफी देने से पहले ज्ञानी गुरबचन सिंह, ज्ञानी गुरमुख सिंह व ज्ञानी मल सिंह को मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के सरकारी आवास पर बुलाया गया था। पत्र में ज्ञानी इकबाल सिंह ने लिखा है कि वह बेअदबी व गोलीकांड के दोषियों को सजा दिलवाने की मंशा से यह बयान पूरी जिम्मेदारी के साथ एसआइटी के पास दे रहे हैं।
– सुनीलराय कामरेड