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पत्थरबाजों पर नियंत्रण के लिए बनी नीति, जल्द सामने आएंगे बढ़िया परिणाम – सेना प्रमुख

भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत पहली बार अपनी पत्नी मृदुला रावत के साथ सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में वाहेगुरू के सामने नतमस्तक हुए

लुधियाना- अमृतसर  : भारतीय सेना प्रमुख की जिम्मेदारी सम्भालने के बाद जनरल बिपिन रावत पहली बार अपनी पत्नी मृदुला रावत के साथ सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में वाहेगुरू के सामने नतमस्तक हुए। 84 के सेना हमले के पश्चात पहली बार भारतीय सेना के जनरल दरबार साहिब में उपस्थित हुए है। इस दौरान जनरल रावत ने ना केवल सचखंड इतिहास के बारे में जानकारी ली बल्कि एक घंटे तक श्री हरिमंदिर साहिब में उपस्थिति दर्ज करवाकर सरबत के भले के लिए अरदास की।

एसजीपीसी ने जनरल बिपिन रावत का रेड कारपेट पर स्वागत किया। इस अवसर पर जनरल साहब ने कहा कि मैं इस पवित्र स्थान पर समस्त भारतीय सेना के लिए आर्शीवाद लेने आया हूं। उन्होंने भारतीय सेना के सभी सैनिकों व सेना की चढदी कला के लिए अरदास की। जनरल रावत बिना वर्दी के एक आम श्रद्धालु की भांति परिवार समेत यहां पहुंचे थे।

हालांकि एसजीपीसी के टास्क फोर्स सदस्यों ने उन्हें घेर रखा था। सचखंड के सूचना केंद्र पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सेना कश्मीर में पत्थरबाजों पर नुकेल कस रही है और जल्द ही आतंकियों के नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया जाएंगा। उन्होंने कहा कि सेना देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वचनबद्ध है, वहीं देश की अंतरिक सुरक्षा पर भी किसी कीमत पर आंच नहीं आने दी जा सकती।

इससे पहले जनरल बिपिन रावत अपने परिवार के साथ गुरूरामदास लंगर भवन भी गए और पंगत में बैठकर गुरूघर का लंगर छका। उन्होंने अरदास के लिए कड़ाह प्रसाद की देग करवाई और कुछ वक्त हरमंदिर साहिब के अंदर मुख्य भवन में माथा टेकने उपरांत आम श्रद्धालु की भांति जमीन पर बैठकर इलाही वाणी की कीर्तन श्रवण किया।

जनरल बिपिन रावत भक्ति और शक्ति के केंद्र श्री अकाल तख्त साहिब पर भी दर्शन करने गए। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों समेत आसपास चल रहे एसजीपीसी के अधिकारियों के साथ ठेठ पंजाबी में बात की। उन्होंने यात्री पुस्तक में अपनी भावनाओं का भी उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्थान सिखों का जज्बे और बहादुरी के कारण दुनिया में प्रसिद्ध है और भारतीय सेना सिख सैनिकों पर गर्व करती है।

परिक्रमा करते हुए कमेटी के सचिव डॉ रूप सिंह ने जनरल रावत को 84 में श्री हरिमंदिर साहिब पर हुए हमले और सेना द्वारा रेफरेंस लाइब्रेरी की धार्मिक साहित्य और दुर्लभ पावन स्वरूप जो हस्तलिखित थे, जिन्हें सेना अपने साथ ले गई थी, को वापिस दिलाने की मांग की तो जनरल साहब ने स्पष्ट कहा कि उन्हें इस बारे में कोई ज्ञान नहीं । वह इसके लिए पूछताछ करके बताएंगे।

एजसीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल सहित विभिन्न अधिकारियों ने जनरल रावत उनके परिवार के सदस्यों और अन्य सैन्य अधिकारियों को भी सम्मानित किया। सेना प्रमुख परिवार के साथ अमृतसर में बने भारत-पाक बंटवारे की याद को ताजा करने वाले पार्टिशियन म्यूजियम को देखने भी गए। वहां उन्होंने बंटवारे के दौरान हुई घटनाओं के संभाल कर रखे दस्तावेजों व इतिहास की जानकारी हासिल की।

एक सवाल के जवाब में आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा वह 1980 से लेकर 1982 तक किला गोविंदगढ़ की रेजीमेंट में रहे हैं। वहां पर उन्होंने पंजाबी भाषा सीखी है। वह आज अच्छी पंजाबी बोल लेते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में पंजाबी फौजियों का अहम रोल है। पंजाबी सैनियों के बहादुरी की गाथाओं से भारतीय सेना के इतिहास भरा पड़ा है। इस योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। पंजाब के बहादुर सैनिकों ने सेना का सिर गर्व से उंचा रखा है। आज भारतीय आर्मी में पंजाबी सैनिकों की काफी संख्या है।

– सुनीलराय कामरेड

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