जालंधर : मृत्यु के बाद अंगदान करने के मामले में अन्य राज्यों की अपेक्षा पंजाब काफी पिछड़ा हुआ है। सूबे में अंगदान के लिए नेशनल आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन की ओर से पंजीकृत सात अस्पतालों में से किसी में मरणोपरांत अंगदान नहीं किया जा रहा। इसके उलट दक्षिण भारत के राज्यों में अंगदान को लेकर स्थिति बेहतर है।
अगर देश के 1 फीसद लोग भी मृत्यु के बाद अंगदान कर दें तो अंग न मिलने की वजह से जिंदगी से हाथ धोने वालों को बचाया जा सकता है। यह हालत तब है जब देश की मशहूर शख्सियतों ने मृत्यु के बाद अंगदान की शपथ ली हुई है। नोटो के डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) विमल भंडारी का कहना है कि पंजाब में सात अस्पतालों को नोटो ने अंगदान के मामले में पंजीकृत किया है लेकिन यहां से केवल जीवित लोगों के अंग लेकर प्रत्यारोपण करने के मामले सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से पंजाब सरकार को ब्रेन डेड घोषित करने के लिए कमेटियां गठित करने के लिए कई बार पत्र जारी किए गए परंतु इसका जवाब नहीं मिला।
अब केंद्र सरकार की पंजाब में अंग लेने व प्रत्यारोपण करने के लिए बड़ा सेंटर स्थापित करने की योजना है। देश भर में 21 स्वयंसेवी संगठन भी विभाग के साथ जुड़ कर अंगदान के लिए प्रचार कर रहे हैं। नोटो के कन्वीनर डॉ. अनूप कुमार का कहना है कि मरणोपरांत अंगदान के मामले को लेकर पंजाब में बड़े स्तर पर वर्कशॉप की जा रही है। इसके अलावा पंजाब के धार्मिक व समाजिक संगठनों को भी इस मुहिम शामिल किया जाएगा।
नॉर्थ जोन यूरोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया के प्रधान डॉ. अनिल गोयल का कहना है कि देश में हर साल 5 लाख लोग अंग न मिलने की वजह से दम तोड़ रहे है। इनमें 2 लाख लिवर व 50 हजार दिल की बीमारी के रोगी शामिल हैं। दो लाख लोग किडनी प्रत्यारोपण का इंतजार करते हैं जबकि ये केवल 7500 लोगों को नसीब हो पा रही है। इनमें पांच हजार जिंदा लोगों व 2500 मरनोपरांत मिली है।
देश में रोजाना 6 हजार लोग व हर 17 मिनट में एक मरीज अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में मर रहा है। हर 13 मिनट में अंग लेने के लिए एक मरीज वेटिंग लिस्ट में शामिल हो रहा है।
- अश्विनी ठाकुर