बीते दिन कैबिनेट बैठक में सरकार की ओर से किसानों के हित में कई अहम बड़े फैसलों को मंजूरी दी गई है। कृषि सुधारों की दिशा में सरकार ने बुधवार को अहम कदम बढ़ाते हुए प्रमुख कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के दायरे से बाहर करने के फैसले पर मुहर लगा दी है। जिसके बाद किसान अपनी फसलों को अन्य राज्यों में भी बेच सकेंगे। कयास लगाएं जा रहे हैं कि सरकार के इस फैसले से किसानों को अच्छा-खासा लाभ होगा।इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसानों को मंडियों से बाहर फसलें बेचने की अनुमति देने संबंधी अध्यादेश को संघीय ढांचे का उल्लंघन बताया और शुक्रवार को कहा कि इससे राज्य को नुकसान होगा क्योंकि उसपर अध्यादेश थोपा जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने आगाह भी किया कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था तथा खाद्यान्न खरीद व्यवस्था को भंग करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इससे राज्य के किसानों में अशांति पैदा हो सकती है। वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मीडियाकर्मियों से बातचीत कर रहे थे। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश, 2020 संबंधी एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, यह संघीय ढांचे का उल्लंघन है। सिंह ने कहा, यह पंजाब पर जबरदस्ती थोपा जा रहा है और यह हमारे राज्य को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र को इस अध्यादेश के बारे में पहले पंजाब सहित विभिन्न राज्यों से परामर्श करना चाहिए था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सुव्यवस्थित कृषि उपज विपणन प्रणाली में इस तरह के प्रत्यक्ष और हानिकारक हस्तक्षेप के जरिए देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने के केंद्र के किसी भी कदम का पंजाब विरोध करेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अधिसूचित कृषि उपज विपणन समिति मंडियों के बाहर कृषि उपज की अनुमति देने के लिए कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी थी। सिंह ने कहा कि इस तरह के उपाय से देश की खाद्य सुरक्षा पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जो पंजाब के मेहनती किसानों ने हरित क्रांति के बाद से हासिल किया है।
उन्होंने कहा कि भारत के संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों की भूमिकाएं अच्छी तरह से परिभाषित हैं। संवैधानिक ढांचे के तहत कृषि राज्य का विषय है और केंद्र सरकार के पास कृषि उत्पादन, विपणन और प्रसंस्करण के संबंध में कानून बनाने का अधिकार नहीं है। सिंह ने कहा कि अचानक फैसले लेने और राज्यों की राय लिए बिना उन पर थोपने की केंद्र की आदत संघीय ढांचे का उल्लंघन है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड संकट के दौरान केंद्र सरकार के ऐसे कदमों के गंभीर आर्थिक, सामाजिक परिणाम हो सकते हैं। इससे कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को लाभ नहीं होगा और वास्तव में विधायी बदलाव के कारण उन्हें व्यापारियों के हाथों नुकसान होगा।