चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खेहरा ने छह सदस्यीय राजस्व आयोग बनाये जाने की आलोचना करते हुए कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार आयोगों की सरकार है और एक तरफ जहां सरकारी खजाना खाली होने की बात कर मुख्यमंत्री मितव्ययता की बातें करते हैं दूसरी ओर अपने चहेतों को आयोगों में लगाकर फिजूलखर्ची की जा रही है। आम आदमी पार्टी (आप) नेता श्री खेहरा ने यहां जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री एक तरफ विधायकों के आयकर सरकार की ओर से भरना बंद करने, अमीर किसानों से बिजली सब्सिडी का त्याग करने के सुझाव देते हैं पर दूसरी तरफ वह आयोग पर आयोग बनाकर पहले से दिवालिया हो चुके सरकारी खजाने पर बोझ डाल रहे हैं।
श्री खेहरा ने कहा कि नया बना छह सदस्यीय राजस्व आयोग अपने एक साल के कार्यकाल में ऐसा क्या हासिल कर लेगा जो राजस्व विभाग दशकों में हासिल नहीं कर सका है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ के सचिवालय में राजस्व विभाग पहले ही बड़ अधिकारियों से भरा पड़ है, फिर विभागीय और जिला स्तर पर अधिकारियों की फौज है, जो प्रशिक्षित भी हैं और जिन्हें वर्षों का अनुभव भी है। श्री खेहरा ने कहा कि राजस्व आयोग को दिये गये कार्य में भूमि प्रशासन पर वर्तमान कानूनों और प्रक्रियाओं को भूमि के आज के समय में कृषि और गैर कृषि इस्तेमाल की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना, नये कनून प्रस्तावित करना और राजस्व प्रशासन को अधिक पारदर्शी बनाना है। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री राजस्व विभाग की स्थिति सुधारने को लेकर इतने चिंतित हैं तो उन्हें विभाग के ही अधिकारियों को लेकर समिति बनानी चाहिए थी।
आप नेता ने कहा कि प्रस्तावित आयोग से राजस्व विभाग में अधिकार क्षेत्र के संघर्ष की ही स्थिति पैदा होगी। श्री खेहरा ने आरोप लगाया कि पिछले साल मार्च में एक पूर्व मुख्य सचिव के नेतृत्व में गठित पंजाब प्रशासन सुधार और मूल्य आयोग ने अब तक कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाज्ञपूर्ण है कि पंजाब में दो दर्जन ऐसे आयोग हैं जबकि राज्य पर ढाई लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इसी तरह मुख्यमंत्री ने सलाहकारों, विशेष अधिकारियों की नियुक्तयां की हैं जिन्हें कैबिनेट और राज्य मंत्री का दर्जा और सुविधाएं दी जा रही हैं तथा इनसे राज्य की वित्तीय समस्याएं बढ़ ही रही हैं। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर को अगर लगता है कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में राजस्व आयोग राजस्व संबंधी मामले सुधार सकता है तो उन्हें राजस्व विभाग को भंग कर देना चाहिए। विपक्ष के नेता ने कहा कि पंजाब सरकार यह ऐसे समय पर कर रही है जब वह न तो अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पा रही है और न ही इसके पास समाज कल्याण योजनाओं या किसानों की कर्ज माफी के लिए पैसे हैं। यह देखते हुए आयोग बनाना कतई समझदारी वाला फैसला नहीं कहा जा सकता है।
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