जालंधर : हरियाणा में हुई हिंसा के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार बताते हुए प्रदेश कांग्रेस ने आज यहां कहा है कि प्रदेश में हिंसा को रोकने के लिए जिस तरह से कांग्रेस सरकार त्वरित कदम उठाया और कोई बडी घटना नहीं होने दी, उससे आवाम का भरोसा कांग्रेस पर और मजबूत हुआ है। पंजाब प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सतनाम सिंह कैंथ ने भाषा से बातचीत में कहा, डेरा प्रमुख को बलात्कार का दोषी ठहराये जाने पर पंचकूला में हुई हिंसा के बाद पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने जिस प्रकार त्वरित कार्वाई की और कोई भी बडी वारदात नहीं होने दी जो काबिले तारीफ है।
कैंथ ने कहा, हरियाणा के पंचकूला में बडे पैमाने पर हुई हिंसा के बीच पंजाब में शुरू होते ही जिस प्रकार इसे नियंत्रित कर लिया गया और राज्य में कोई बडी घटना नहीं हुई, इससे कैप्टन और कांग्रेस दोनों पर आवाम का भरोसा बढा है। उन्होंने कहा, डेरा समर्थकों ने पंजाब में भी कई स्थानों पर सरकारी संपथियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की लेकिन कैप्टन अमरिंदर के कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों ने उन पर न केवल जल्दी काबू पा लिया बल्कि मौके से उन्हें खदेड़ भी दिया। हिंसा से निपटने के लिए कुछ स्थानों पर कर्फ्यू भी लगाया गया है और स्थिति नियंत्रण में है।
कैंथ ने आरोप लगाया कि मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली हरियाणा की भाजपा सरकार सभी मोर्चे पर पूरी तरह असफल साबित हुई है, क्योंकि रामपाल और जाट आंदोलन के बाद यह तीसरा मौका है जब हरियाणा हिंसा के दौर से गुजरा है। वहा की सरकार चाहती तो वह इस हिंसा को रोक सकती थी लेकिन राजनीतिक लाभ की चाहत ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि सियासी फायदे के लिए हरियाणा की भाजपा सरकार ने डेरा समर्थकों के समक्ष घुटने टेक दिये। खट्टर सरकार अगर उन लोगों पहले ही रोक लेती तो शायद इतने बडे पैमाने पर जान और माल की हानि नहीं हुई होती।
उन्होंने कहा कि डेरा समर्थकों को पंचकुला पहुंचने देना ही खट्टर की सबसे बडी गलती थी, जिसे रोका जा सकता था। सुरक्षा के पुख्ता उपाय जैसे पंजाब में किये गए वह हरियाणा में भी होना चाहिए था। अगर ऐसा होता तो किसी प्रकार की हानि नहीं होती और अब खट्टर, भाजपा तथा केंद, की सरकार को यह बताना चाहिए कि इस हिंसा और मौत के लिए कौन जिम्मेदार है। इससे पहले कल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि हरियाणा में हुई हिंसा में मारे गए लोगों में से सात पंजाब के रहने वाले थे। दूसरी ओर पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता ने सुखपाल सिंह खैरा ने भी हिंसा के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि पंजाब सरकार ने राज्य में स्थिति को बेहतर तरीके से संभाल लिया और पुलिस बलों की सुझबूझ से राज्य में कोई बड़ी वारदात नहीं हुई।