पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की योजना को बुधवार को विफल कर दिया।
राज्यपाल ने बृहस्पतिवार को विशेष सत्र आहूत करने के पिछले आदेश को वापस लेते हुए कहा कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजभवन से संपर्क करने के बाद कानूनी राय मांगी गई थी और सदन के नियमों के अनुसार इसकी अनुमति नहीं है।
राजभवन के ताजा आदेश में कहा गया है कि विधानसभा के नियम सिर्फ सरकार के पक्ष में विश्वास मत पारित करने के लिए सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देते हैं।
राज्यपाल ने मंगलवार को, 22 सितंबर को विशेष सत्र आहूत करने की अनुमति दी थी। उनके ताजा आदेश के बाद वह अनुमति वापस ले ली गई है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले की आलोचना की।
मान ने ट्वीट किया, “राज्यपाल द्वारा विधानसभा ना चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है… अब लोकतंत्र को करोड़ों लोगों द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि चलाएंगे या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक व्यक्ति… एक तरफ भीमराव जी का संविधान और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस… जनता सब देख रही है…”
केजरीवाल ने ट्वीट किया, “राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खतम है। दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाज़त दी। जब ऑपरेशन लोटस फ़ेल होता दिखा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फ़ोन आया कि इजाज़त वापस ले लो। आज देश में एक तरफ़ संविधान है और दूसरी तरफ़ ऑपरेशन लोटस।”
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस के नेता सुखपाल सिंह खैरा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पंजाब इकाई के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने राज्यपाल से संपर्क करके कहा था कि सिर्फ ‘विश्वास प्रस्ताव’ लाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।
पंजाब में ‘आप’ सरकार ने विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विशेष सत्र आहूत करने की मांग की थी। इससे कुछ दिन पहले ही ‘आप’ ने भाजपा पर उसकी सरकार गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था।