साल 2015 में पंजाब के बरगाड़ी में हुए बेअदबी मामले का ‘जिन्न’ साढ़े छह साल बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भी हावी रह सकता है। अक्टूबर 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चलाई गई थीं जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। इस ‘डबल कांड’ का खामियाजा 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और अकाली दल के गठबंधन को भुगतना पड़ा। दोनों को विधानसभा की 117 सीटों में से महज 18 सीटें मिलीं और वे सत्ता से बाहर हो गए। कांग्रेस सरकार आने पर सिख समुदाय को उम्मीद जगी थी कि मामले में इंसाफ होगा, मगर पूरा कार्यकाल निकल जाने के बाद भी बेअदबी और गोलीकांड मामले में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई जिसके चलते माना जा रहा है कि कांग्रेस को भी इसकी ‘सजा’ इस बार के चुनाव में भुगतनी पड़ सकती है।
पंजाब लोक कांग्रेस ने पिछले महीने अमृतसर व कपूरथला में हुई धार्मिक बेअदबी की घटनाओं की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) या किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से कराने की मांग आज की। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बालीवाल ने आज इस आशय की मांग करते हुए ट््वीट किया कि एक महीना बीत गया है लेकिन दो दिन में आने वाली पंजाब सरकार की गठित एसआईटी (विशेष जांच टीम) की रिपोर्ट नहीं आई है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से एनआईए या किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से प्रकरण की मांग की।
श्री बालीवाल ने दोनों घटनाओं में भीड़ के हाथों मारे गये आरोपियों की पहचान न हो पाने पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि यह कहीं पाकिस्तानी नागरिक तो नहीं थे। उन्होंने इस आशय का भी आरोप लगाया कि इसके पीछे पाकिस्तानी बड़ भाई (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान) की छोटे भाई (पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू) की सियासत के लिए कोई चाल तो नहीं थी।