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रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने किया शिरोमणि अकाली दल टकसाली का गठन

शिक्षा, सेहत, बेरोजगारी, नशामुकत पंजाब, किसानी, खेत मत्रदूरों, प्रदूषण मुक्त पंजाब, एग्रो और फूड प्रोसेसिंग उद्योग विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।

नवगठित शिरोमणि अकाली दल टकसाली के अध्यक्ष रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने रविवार को कहा कि यह दल सिख पंथ और समूह सिख संगठनों की धार्मिक, राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आशाओं और अभिलाषाओं की प्राप्ति और पूर्ति का प्रतीक होगा। शिरोमणि अकाली दल (बादल) से निष्कासित हुए नेताओं रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, सेवा सिह सेखवां और डॉ रतन सिंह अजनाला ने आज शिरोमणि अकाली दल टकसाली का गठन किया।

पार्टी के अध्यक्ष श्री ब्रह्मपुरा ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने शिरोमणि अकाली दल को प्रकाश सिंह बादल परिवार के एकाधिकार और निरकुंशता से आत्राद करवाने के लिए इसके सिद्धांतों अनुसार फिर से नये दल का गठन करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अकाली दल का गठन 14 दिसंबर 1920 को किया गया था। अकाली दल ने देश की स्वतंत्रता के लिए विशेष भूमिका निभाई थी और आजादी के पश्चात भी पंजाबी सूबे की प्राप्ति के लिए मोर्चे लगाए थे लेकिन सिख पंथ और समूह पंजाबियों को निस्वार्थ तौर पर समर्पित पार्टी का चेहरा उस दिन से बदसूरत होना शुरू हो गया जब इस पर बादल परिवार का एकाधिकार हुआ।

उन्होंने कहा कि बादल परिवार के एकाधिकार, निरकुंशता, भ्रष्टाचार और अहंकार ने इस पंथक राजनैतिक दल के साथ-साथ सिखों की संसद के तौर पर पहचानी जाती धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति को पूरी तरह से अपनी दासी बना लिया। श्री ब्रह्मपुरा ने कहा कि जो भी राजनैतिक या धार्मिक नेता बादलों की तानाशाही कारगुत्रारी को चुनौती देने की हिम्मत जुटाता है, उसका राजनैतिक रुतबा, अस्तित्व खत्म कर दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि बादलों ने डेरासच्चा सौदा को माफी दिलवाई और श्री गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी और शांतमयी ढंग से विरोध कर रही सिख संगत पर जरनल डायर की तरह गोलीबारी करवाई जिसमें दो सिख नौजवान शहीद हो गए और अनेकों त्ऱख्मी हो गए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी एसजीपीसी को केवल धार्मिक और धार्मिक विषयों तक ही सीमित रखेगा। किसी भी विधायक या सांसद को इसका सदस्य नहीं बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि श्री अकाल त़ख्त साहब और दूसरे त़ख्त साहबानों के जत्थेदार राजनीति और एसजीपीसी के प्रभाव और दबाव से मुक्त किये जाएंगे। पंजाब की राजधानी चण्डीगढ़, पंजाबी भाषी इलाकों को वापस किए जाने, पंजाब की नदियों के पानी के लिए निर्णायक संघर्ष किया जाएगा। अकाली दल टकसाली बढ़या, भ्रष्टाचार रहित, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन प्रदान करेगा। शिक्षा, सेहत, बेरोजगारी, नशामुकत पंजाब, किसानी, खेत मत्रदूरों, प्रदूषण मुक्त पंजाब, एग्रो और फूड प्रोसेसिंग उद्योग विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।

पंजाबी भाषा को शिक्षा की माध्यम भाषा बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, ईसाई और मुसलमान समुदाय को अनुपात अनुसार सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि स्थापना के बाद शिरोमणि अकाली दल कई हिस्सों में बंट चुका है। वर्ष 1920 में वजूद में आए शिरोमणि अकाली दल मुख्य रूप से शिअद (ब), शिअद (अमृतसर), शिअद (1920), शिअद (यूनाइटेड), शिअद (पंथक) और शिअद (मनजीत सिंह) में पहले ही बंट चुका है। अब ‘शिरोमणि अकाली दल टकसाली’ दल एक नए रूप में आया है और बादल परिवार की सियासत को चुनौती दे रहा है।

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