लुधियाना-जालंधर : इंफोरसमेंट डायरेक्टर (ईडी) के डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया। निरंजन सिंह ने भोला ड्रग्स रैकेट की जांच और ड्रग्स नेटवर्क में अकाली दल नेता और पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया से पूछताछ करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह ने अपने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा देने की बात कही है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक वह अपने विभाग की कारगुजारी से नाराज चल रहे थे।
निरंजन सिंह को वर्ष 2021 में सेवानिवृत्त होना था। यानी उनका अभी तीन साल का कार्यकाल बाकी था। उन्होंने अपना लिखित इस्तीफा ईडी दफ्तर के प्रमुख गिरीश बाली को सौंपा है। अब विभाग तीन महीने के भीतर इस्तीफा पर मंजूर या नामंजूर करने का फैसला ले सकता है। इस संबंध में पूछने निरंजन सिंह ने खुद इस्तीफा देने की बात स्वीकार की। जब उनसे पूछा गया कि कोई दबाव था तो उन्होंने कहा, यह आप देखें, फिलहाल मैंने इस्तीफा दे दिया है।
सुखबीर की विरोधता के बाद अब बड़े बादल के विरोध की कोशिश
स्मरण रहें कि निरंजन सिंह वही अफसर हैं, जिन्होंने भोला ड्रग रैकेट मामले में पंजाब के पूर्व मंत्री और अकाली दल के वरिष्ठ नेता विक्रम सिंह मजीठिया से पूछताछ की थी। इससे पहले साल 2015 की शुरुआत में ड्रग्स केस में मजीठिया की जाच के दौरान निरंजन सिंह का तबादला जालंधर से कोलकाता कर दिया गया था।
यह मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचने पर अदालत ने उनके तबादले पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने ड्रग्स केस के जाच अधिकारी के तौर पर भी उन्हें बरकरार रखने के आदेश दिए थे। बता दें कि साल 2016 में निरंजन सिंह प्रवर्तन निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर पदोन्नत हुए थे। उनके इस्तीफे ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रताप बाजवा ने फैसला बताया दुर्भाग्यपूर्ण
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व गुरदासपुर से सांसद रहे प्रताप सिंह बाजवा ने ट्वीट कर कहा कि निरंजन सिंह जैसे ईमानदार अफसर के इस्तीफे से वह स्तब्ध हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई विक्रमजीत सिंह मजीठिया को छह हजार करोड़ के भोला ड्रग रैकेट केस में क्लीन चिट देने के केंद्र सरकार के दबाव में उन्हें झुकना पड़ा।