लुधियाना : जगत गुरू श्री गुरू नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित गुरूद्वारा श्री ननकाना साहिब पाकिस्तान से सजाया गया इतिहासिक और अंतरराष्टीय नगर कीर्तन आज पंथक जाहो-जलाल के साथ नगाड़ों की गूंज में सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब से विश्राम के बाद आज अगले पड़ाव के लिए रवाना हो गया। नगर कीर्तन का आज रात का विश्राम पहले पातशाह से संबंधित गुरूद्धारा श्री दरबार साहिब डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर) में होगा।
स्मरण रहे कि पिछले दिनों 1947 के बंटवारे के बाद 72 सालों के दौरान यह पहला इतिहासिक इतफाक था, जब पड़ोसी मुलक पाकिस्तान से शुरू होकर कोई नगर कीर्तन अटारी-वाघा सरहद की लकीरें फांदकर भारत पहुंचा था। इसी रास्ते भारत से दाखिल होने के बाद जयकारों की गूंज में यह नगर कीर्तन महज 22 कि.मी. का सफर 14 घंटों सेअधिक वक्त के दौरान रास्ता तय करके आज सुबह-सवेरे सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में पहुंचा था।
इस अवसर पर श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह, शिरोमणि कमेटी के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल और डॉ रूप सिंह के अलावा कई सियासी, धार्मिक शख्सियतों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में सिख संगत श्रद्धालु के तोर पर उपस्थित थी। इस दौरान तमाम रास्ते में रैड कारपेट बिछाकर फूलों की वर्षा की गई।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक आज सुबह-सवेरे 5 बजे के करीब यह कीर्तन श्री अमृतसर पहुंचा। यहाँ रवानगी से पहले श्री अकाल तख्त साहिब पर अरदास की गई और सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी जगतार सिंह ने श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी का पावन स्वरूप पालकी साहिब में सुशोभित किया।
इस दौरान 5 प्यारे साहिबान और निशानची सिंहों ने सिंह साहिबान को गुरू बख्शीश सिरोपे दिए। आरंभिता के वक्त श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, शिरोमणि कमेटी के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल और पूर्व जत्थेदार अकाल तख्त साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह, आंतरिक कमेटी सदस्य भाई मनजीत सिंह, भाई राम सिंह, भाई राजिंद्र सिंह महेता, स. भगवंत सिंह सियालका और हैड ग्रंथी भाई मलकीत सिंह और ज्ञानी गुरमुख सिंह समेत कमेटी मुख्य सचिव डॉ रूप सिंह, मेनेजर स. जसविंद्र सिंह आदि समेत कई प्रबंधक समितियों के प्रतिनिधि मोजूद थे।
श्री दरबार साहिब के बाहर बने प्लाजा से नगर कीर्तन अगले गंतव्य की ओर रवाना होते समय भारी संख्या में संगत स्नान करके नए वस्त्र धारण करके पारिवारिक सदस्यों समेत पहुंची हुई थी, जिन्होंने फूलों की पंखुडिय़ों की बरसात करके श्री गुरू ग्रन्थ साहिब के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकटाई। इस दौरान गतका साहिब और सिख शस्त्र कलां के जौहर भी दिखाई दिए। बैंड बाजों की धुन ने माहौल को खूबसूरत बना रखा था।
– सुनीलराय कामरेड