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SC ने 1984 सिख विरोधी दंगों के 186 मामलों की फिर से जांच के दिए आदेश

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1984 सिख विरोधी दंगे से जुड़े 186 मामलों की फिर से जांच होगी और इसके लिए एक तीन सदस्‍यीय कमेटी का गठन होगा। बता दे कि दंगों की जांच के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जजों की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय नए विशेष जांच दल का गठन किया जाएगा। दरअसल तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद हुए दंगों से संबंधित इन मामलों की जांच बंद कर दी गई थी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस प्रस्तावित समिति में पुलिस का एक सेवानिवृत्त और एक कार्यरत अधिकारी शामिल किया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि इसके लिए नई एसआईटी की गठन होगा जो सभी मामलों को फिर से खोलकर इनकी जांच करेगी।

इसके लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन होगा। इस कमेटी का नेतृत्व हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे और इसमें एक रिटायर्ड और एक सेवारत आईपीएस अफसर होंगे। इससे पहले 241 मामले की फाइलें बंद कर दी गई थी।

कोर्ट का यह आदेश तब आया है जब रिटायर्ड जस्टिस केपीए राधाकृष्णन और जेएम पांचाल की सुपरवायजरी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि दंगों से जुड़े 293 केसेस में से 186 केसेस को पूर्व एसआईटी ने बिना जांच किए ही बंद कर दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद अब इन 186 केसेस को फिर से खोलकर जांच की जाएगी और कमेटी इनकी प्राथमिकता तय करेगी।

आपको बता दें कि 1984 दंगों की इन 186 केसों को एसआईटी की टीम ने अपनी जांच के बाद बंद कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में एसआईटी के इस फैसले को चुनौती दी गई, जिसे कोर्ट ने मान लिया। 186 केसों की जांच के लिए गठित कमिटी में 3 सदस्य होंगे जिनकी अध्यक्षता होई कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे।

बता दें कि इस मामले की सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा 1984 दंगों से संबंधित 293 में से 240 मामलों को बंद करने के निर्णय पर कोर्ट ने आपत्ति जताई थी। केस बंद करने के फैसले पर संदेह जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इनमें में 199 मामलों को बंद करने का कारण बताने के लिए कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सिख दंगों से जुड़े केस और उनकी स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। केंद्र की रिपोर्ट में बताया गया कि हिंसा से जुडे 650 केस दर्ज किए गए थे जिनमें से 293 केसों की एसआईटी ने छानबीन की थी। रेकार्ड खंगालने के बाद इनमें से 239 केस एसआईटी ने ने बंद कर दिए थे, जिनमें 199 केस सीधे-सीधे बंद कर दिए गए।

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