लुधियना-अमृतसर : एसजीपीसी की ओर से महाराजा रणजीत सिंह की बरसी के कार्यक्रम के लिए पाकिस्तान भेजे गए जत्थे में दो अकेली महिलाओं को भेजने की असफल कोशिश के बाद भारतीय गुप्तचर व सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैैं। जिन दो अकेली महिलाओं जत्थे के साथ भेजने की कोशिश की गई, उनके पासपोर्ट व अन्य जानकारी भारतीय सुरक्षा व गुप्तचर एजेंसियों को दिए बिना ही उनके पासपोर्ट वीजा के लिए पाक एंबेसी भेज दिए गए।
पूर्व अकाली मंत्री रणीके के पुत्र व एसजीपीसी सदस्य गुरविंदर ने की थी दोनों महिलाओं के नाम की सिफारिश
एसजीपीसी की ओर वीजा के लिए दो सूचियां पाक दूतावास भेजी गई थीं और इन महिलाओं का नाम दूसरी सूची में शामिल था। बताया गया है कि पाक दूतावास ने इन दोनों का नाम अलग सूची में होने के कारण इसकी जांच की और वीजा देने से इन्कार कर दिया। बता दें कि 21 जून को सिख श्रद्धालुओं को जत्था पाकिस्तान गया है और ये महिलाएं भी उसी जत्थे के साथ जाने वाली थीं।
उधर, इस चूक के बाद एसजीपीसी के अधिकारी अब जांच से बचने के लिए हाथ पांव मार रहे हैैं। दोनों महिलाओं के वीजा के लिए एक बार फिर राजनीतिक सिफारिश होने की बात सामने आ रही है। इनकी सिफारिश अकाली नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री गुलजार सिंह रणीके के पुत्र व एसजीपीसी सदस्य गुरविंदर सिंह लाला रणीके ने की थी। दोनों के नाम छह सदस्यों की दूसरी सूची में शामिल थे और सुरक्षा एजेंसियों को इसकी सूचना नहीं दी गई।
एसजीपीसी के यात्रा विभाग के सहायक हरपाल सिंह ने 16 जून को भेजे आफिस नोट में कहा था कि दोनों की सिफारिश एसजीपीसी सदस्य गुरविंदर सिंह लाली रणीके ने की है। जिस पर सुपरवाइजर गुरदीपसिंह ने लिखा कि अगर इस सूची में शामिल लोगों को वीजा मिलता है तो वीजा फीस जमा करवा कर इनके वीजा प्राप्त कर लिए जाएं। रिपोर्ट सचिव को दे दी गई है।
इस आफिस नोट पर उप सचिव यात्रा विभाग निशान सिंह, अतिरिक्त सचिव यात्रा सुखदेव सिंह भूरा कोहना ने अगली आज्ञा लेने के लिए सचिव मंजीत सिंह बाठ को केस भेजा और उन्होंने इसे मंजूर कर लिया। महिलाओं को वीजा दिलवाने की प्रक्रिया 16 जून को शुरू हुई, 17 जून को एंबेसी में पासपोर्ट दिए गए और 19 जून को एंबेसी ने दोनों का वीजा रोक दिया।
इस मामले में दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना और अकाली दल के वरिष्ठ नेता जगजीत सिंह जग्गा ने कहा कि पाक जाने वाले जत्थों में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की जांच सरकारी एजेंसियों से करवाई जानी चाहिए। किरण बाला केस में एजीपीसी और जत्थों की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े हो चुके हैैं।
जत्थे के साथ जाने वाले सदस्यों की जांच सरकारी एजेंसियां करती है
एसजीपीसी प्रवक्ता दिलजीत सिंह बेदी ने कहा कि जत्थे के साथ जाने वाले सदस्यों की जांच सरकारी एजेंसियों की ओर से की जानी होती है। एसजीपीसी सिर्फ पासपोर्ट लेकर वीजे के लिए एंबेसी को नाम भेजती है। 50 वर्ष आयु तक की महिलाएं अपने परिवर के सदस्यों की सहमति से जत्थे के साथ जा सकती हैं।
बुजुर्ग महिलाओं की सिफारश की – रणीके
एसजीपीसी के सदस्य गुरविंदर सिंह लाली रणीके ने कहा कि दोनों बुजुर्ग महिलाओं की सिफारिश उन्होंने ही की थी। एक महिला उनके दोस्त सुखमन रंधावा की माता है और दूसरी उसकी मासी है। समय पर दोनों महिलाओं के पासपोर्ट वीजा के लिए दिए थे और यह जिम्मेवारी लिखित रूप में ली थी कि दोनो महिलाएं जत्थे के साथ जाएंगी और वापिस आएंगी। बावजूद एसजीपीसी ने अलग से नई सूची में इनके नाम क्यों भेजे इस के लिए एसजीपीसी जिम्मेवार है।
एसजीपीसी प्रवक्ता व एडिशनल सचिव दिलजीत सिंह बेदी ने कहा कि एसजीपीसी द्वारा ऐतिहासिक दिवस के अवसर पर भेजे जाने वाले जत्थों में किसी भी सिख को जाने की मनाही नहीं है। 50 वर्ष से अधिक आयु वाली अकेली महिला परिवार की जिम्मेवारी पर जत्थे के साथ जा सकती है। श्रद्धालुओं की जांच का काम सरकारी एजेंसियों का है। एसजीपीसी केवल जत्थे के सदस्यों के पासपोर्ट अधिकारियों को भेजती है। इस बार जत्थे में 16 महिलाएं शामिल हैं।
– सुनीलराय कामरेड
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