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एसजीपीसी ने 1984 के सिख कत्लेआम के गवाह और वकीलों को दिया सम्मान

दिल्ली दंगों के दोषियों को सजाएं दिलवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले गवाहों व वकीलों को शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व अकाली दल बादल की

लुधियाना- अमृतसर : दिल्ली दंगों के दोषियों को सजाएं दिलवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले गवाहों व वकीलों को शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व अकाली दल बादल की ओर से सम्मानित किया गया। एसजीपीसी के कार्यालय तेजा सिंह समुद्री हाल में आयोजित किए गए इस सम्मान समारोह में 7 गवाहों , तीन वकीलों और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा को भी सम्मानित किया गया। जबकि इस मामले में भूमिका निभाने वाले 4 वकीलों को चंडीगढ़ में सम्मानित करने का फैसला लिया गया है।

गवाहों और वकीलों को अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल , एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल, एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जगीर कौर ने संयुक्त रूप में सम्मानित किया। गवाहों और वकीलों को सम्मान में एक चांदी की तस्तरी , सिरोपा, लोई, तलवार , चादी के यादगरी सिक्के और दो लाख रूपये की नगद राशि भी प्रत्येक व्यक्ति को प्रदान की गई। वकील एचएस फूलका खुद सम्मान लेने के लिए नहीं आए।

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उनकी जगह पर उनका सम्मान उनके भाई को एसजीपीसी की ओर से दिया गया। सब से बड़ी बात सम्मान समारोह के दौरान यह भी कि यह सम्मन समारोह तेजा सिंह समुद्री हाल में आयोजित किया गया पंरतु पंथक सगठनों एसजीपीसी और अकाली दल बादल ने इस दौरान ना तो गुरु साहिब का प्रकाश किया, न ही किसी तख्त साहिब के जत्थेदार और न ही श्री हरिमंदिर साहिब के ग्रंथी व यहा तक कि दमदमी टकसाल के मुखी भी कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे। हैरानी की बात यह है कि सम्मान समारोह के दौरान सम्मान देने के वक्त अरदास तक भी नहीं की गई।

अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 1984 में दिल्ली समेत अन्य शहरों में सिखों का किया गया कत्लेआम समय की कांग्रेस सरकार की एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश थी। इस के लिए राजीव गांधी मुख्य दोषी थे। इस लिए राजीव गांधी के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए। वहीं राजीव गांधी को दिया गया भारत रत्न अवार्ड भी वापिस लिया जाना चाहिए।

दिल्ली दंगों के मामलो में सज्जन कुमार को 34 वर्षों के बाद मिली सजा से सिखों को कुछ राहत मिली है। ब आशा बनी है कि बाकी दोषियों को भी सजा जरूर मिलेगी।जब तक इस मामले में अन्य दोषियों को सजाए नहीं मिली जाती तब तक उनको आदोलन जारी रहेगा। गवाहों ने अपनी जांच जोखिम में डाल कर इस केस को आज तक लड़ा है। जगदीश टाइटल और कमल नाथ को सजाए दिलवाई जानी अभी बाकी है। वह गवाहों की हिम्मत के आगे सिख झूकाते है जिन्होंने किसी भी दबाव के आगे न झूकते हुए केस को अंजाम तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि अकाली दल और सारी सिख कौम गवाहों के साथ खड़ी है।

– सुनीलराय कामरेड

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