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शहीद मनप्रीत सिंह का सैनय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, सजल नेत्रों से दी अंतिम विदाई

देश की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा स्थित ऊंची बर्फीली पहाडिय़ों पर शहीद हुए लोंगोवाल के नौजवान मनप्रीत सिंह (21) वर्षीय का आज यहां के जैद-पॅती स्थित शमशान घाट में पूरे सैन्य सम्मान के साथ परिवारिक सदस्यों और गांववासियों की मोजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया।

लुधियाना-लोंगोवाल : देश की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा स्थित ऊंची बर्फीली पहाडिय़ों पर शहीद हुए लोंगोवाल के नौजवान मनप्रीत सिंह (21) वर्षीय का आज यहां के जैद-पॅती स्थित शमशान घाट में पूरे सैन्य सम्मान के साथ परिवारिक सदस्यों और गांववासियों की मोजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उपस्थित लोगों ने सजल नेत्रों से शहीद को अंतिम विदाई दी। 
भारतीय सेना के 18 सिख रेजीमेंट के अधिकारियों द्वारा शहीद मनप्रीत सिंह की तिरंगे ध्वज में लिपटी मृतक देह जब लोंगोवाल स्थित शहीद के गांव में लाई गई तो पूरा वातावरण गमगीन हो उठा। सामाजिक, सियासी, धार्मिक और प्रशासनिक हस्तियों के अतिरिक्त हजारों की संख्या में आसपास के इलाकों से लोग शहीद मनप्रीत सिंह को भावपूर्ण अंतिम विदाई देने पहुंचे हुए थे। इससे पहले जब सेना की  बख्तरबंद गाड़ी में शहीद की मृत देह को शमशान घाट ले जाया जा रहा था तो शहीद मनप्रीत सिंह अमर रहे के गगनचुंबी नारों के साथ समस्त वातावरण गूंज उठा।
 
भारत माता की सेवा के लिए कुछ वक्त पहले ही सेना में भर्ती हुए पंजाब के कस्बा लोंगोवाल के 23 वर्षीय नौजवान मनप्रीत सिंह ने जम्मू-कश्मीर के ऊंचे इलाके में डयूटी निभाते हुए शहादत का जाम पिया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक मनप्रीत सिंह की मृत्यु जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा इलाके में बेहद ऊंची बर्फ की चोटियों की रक्षा के दौरान बर्फ का बड़ा तोंदा (गोला ) गिरने से हुई है।  मनप्रीत सिंह मार्च 2018 में देशसेवा के इरादे से सेना में भर्ती हुआ था और अभी तक उसकी शादी नहीं हुई थी। उसके दादा प्यारा सिंह ने विलाप करते हुए बताया कि मनप्रीत सिंह,  छोटे भाई-बहन से बड़ा था और उसके सेना में भर्ती होने से परिवार सुख की रोटी खाने लगा था। अंतिम विदाई के वक्त उसकी मां छोटे भाई और बहन का विलाप दर्दनाक था और हर शख्स की आंखें नम थी।
आज जब उसके शहीद होने की सूचना जैसे ही लोंगोवाल स्थित उसके रिहायशी स्थल पर पहुंची तो समस्त इलाके में शोक फैल गया। दर्जनों गांवों के लोग और समाजसेवी जत्थेबंदियों के प्रतिनिधि व रिश्तेदार उसके घर में संवेदनाएं प्रकट करने हेतु आ रहे है। 
– सुनीलराय कामरेड

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